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भूपेश सरकार के 4 साल : 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़िया गौरव दिवस मनाने की तैयारी, राज्य के 15 हजार जगहों पर होगे कई आयोजन

4 years of Bhupesh Sarkar: Preparation to celebrate Chhattisgarhia Pride Day on December 17, many events will be held at 15 thousand places of the state

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़िया गौरव दिवस मनाएगी। राज्य सरकार के 4 साल पूरा होने पर यह आयोजन किया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि, 17 दिसंबर को राज्य सरकार के 4 साल पूरे होंगे। कांग्रेस सरकार के चार साल पूरे होने पर इसे छत्तीसगढ़िया गौरव दिवस के रूप में मनाएंगे। इस दिन राज्य के 15 हजार जगहों पर कई आयोजन होंगे। गोठानों और सहकारी समितियों में भी कार्यक्रम होगा।

छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देने किए गए कई कार्यक्रम

उल्लेखनीय है कि, राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पहले भी कई कार्यक्रम कर चुकी है। इसमें हरेली त्यौहार मनाना, हरतालिका तीज पर तीजा तिहार, छत्तीसगढ़िया ओलंपिक, नरवा गरवा घुरवा बाड़ी आदि कई कार्यक्रमों के जरिये छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। हरेली के समय सीएम हाउस में बड़े ही धूम-धाम से हरेली तिहार बनाया जाता है। इतना ही नहीं हरेली पर्व के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। गौवंशीय पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए गोधन न्याय योजना की शुरूआत भी की गई है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार तीजा पोला के अवसर पर भी सीएम हाउस में तीजा पोरा तिहार का भव्य आयोजन किया जाता है। इसमें हजारों की संख्या में महिलाएं पारंपरिक श्रृंगार करके सीएम हाउस पहुंचती है। इस दौरान मुख्यमंत्री निवास को पूरी तरह से महिलाओं का मायका बना दिया जाता है। साथ ही खेल-कूद समेत कई कार्यक्रम होते हैं।

प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिलों में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी खानपान और व्यंजनों को जन सामान्य को सहजता से उपलब्ध कराने और इसको लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से सभी जिलों में गढ़ कलेवा की शुरूआत की है। गढ़ कलेवा में सस्ते दर पर छत्तीसगढ़ी व्यंजन का लुत्फ उठाया जा सकता है। वहीं छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में स्‍थानीय खेलों को प्राथमिकता दी गई है। ये खेल लोगों के लिए न केवल मनोरंजन का जरिया हैं, बल्कि ये शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही हमें ताजगी और स्फूर्ति भी देते हैं। पिट्टुल, गिल्ली -डंडा, खो-खो, कबड्डी जैसे खेल यहां गांव-गांव खेले जाते हैं। इनमें फुगड़ी भी शामिल हैं, जिनमें बालिकाओं की अधिक रूचि है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस ओलंपिक खेल की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें सभी आयु वर्ग के खिलाड़ी इस खेल आयोजन के माध्यम से अपनी खेल प्रतिभा को दिखा सकते हैं। राज्य में सुराजी गांव योजना के माध्यम से प्रदेश सरकार की ओर से नरवा, गुरुवा, घुरुवा और बाड़ी का अभियान चलाया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ के सभी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पशुओं को भी संरक्षण देना है। इसके तहत सड़क पर घूमने वाले पशुओं के लिए गौशालाएँ बनाई गई है और उनके लिए चारे का भी बन्दोबस्त किया जाता है।

 

 

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