Trending Nowशहर एवं राज्य

YOUNG JOURNALIST MUKESH CHANDRAKAR : युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या, अनियमितताओं पर रिपोर्टिंग बनी जानलेवा?

YOUNG JOURNALIST MUKESH CHANDRAKAR: Brutal murder of young journalist Mukesh Chandrakar, has reporting on irregularities become fatal?

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 28 वर्षीय युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। मुकेश का शव एक ठेकेदार की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

हत्या का रहस्य : सड़क निर्माण घोटाले से जुड़ा कनेक्शन?

मुकेश चंद्राकर, जो एक स्थानीय समाचार चैनल के लिए काम करते थे, ने हाल ही में एक सड़क निर्माण परियोजना में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर किया था। रिपोर्टिंग के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी थीं। यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं उनकी निडर पत्रकारिता ही उनकी हत्या का कारण तो नहीं बनी।

गुमशुदगी से हत्या तक : दो दिन का संघर्ष

1 जनवरी की शाम को मुकेश अचानक लापता हो गए थे। परिजनों ने उनकी गुमशुदगी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई। दो दिन तक चली खोजबीन के बाद उनका शव एक सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। टैंक को हाल ही में कंक्रीट से बंद किया गया था, जिससे हत्या की आशंका और गहरी हो गई।

मुख्यमंत्री का बयान : दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

मुख्यमंत्री ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “मुकेश चंद्राकर की हत्या पत्रकारिता और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।”

मुकेश चंद्राकर : एक निडर पत्रकार

2021 में माओवादियों द्वारा अगवा किए गए CRPF जवानों की रिहाई में मुकेश चंद्राकर ने अहम भूमिका निभाई थी। उनकी बहादुरी को राज्य पुलिस ने सराहा था। मुकेश बस्तर क्षेत्र में नक्सली मुठभेड़ों, आदिवासी समस्याओं और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते थे।

यूट्यूब चैनल के जरिए आवाज उठाई

मुकेश का यूट्यूब चैनल, जिसके 1.59 लाख से अधिक सब्सक्राइबर थे, आदिवासी समुदायों की आवाज बना। वे बस्तर की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर लाने में सफल रहे।

पत्रकार बिरादरी में शोक और आक्रोश

मुकेश की हत्या के बाद पत्रकारों में आक्रोश है। बस्तर के पत्रकारों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। एक वरिष्ठ संपादक अनुराग द्वारी ने कहा, “मुकेश का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हम न्याय के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।”

आगे की जांच और न्याय की उम्मीद

पुलिस मामले के हर पहलू की गहराई से जांच कर रही है। ठेकेदार और सड़क परियोजना से जुड़े लोगों को संदेह के घेरे में लिया गया है।

मुकेश चंद्राकर की हत्या न केवल पत्रकारिता पर हमला है, बल्कि यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने की साजिश भी है। ऐसे निडर पत्रकारों का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। न्याय की इस लड़ाई में समाज, सरकार और मीडिया को एकजुट होकर खड़ा होना होगा।

 

 

 

 

 

 

 

advt----
advt--0005-april
advt--0007-april
advt-april2025-001
Share This: