SUPREME COURT : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राष्ट्रपति 3 महीने में लें निर्णय …

SUPREME COURT : Supreme Court’s big decision, President should take decision in 3 months…
नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2025। SUPREME COURT सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजे गए विधेयकों को लंबे समय तक लंबित रखने की प्रवृत्ति पर बड़ा फैसला सुनाते हुए राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर निर्णय लेने की सलाह दी है। यह ऐतिहासिक टिप्पणी तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई, जिसमें राज्यपाल आरएन रवि के पास लंबित 10 विधेयकों की बात कही गई थी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
SUPREME COURT सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने 8 अप्रैल को दिए गए फैसले में कहा कि “हम गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित समयसीमा को उचित मानते हैं और यह सलाह देते हैं कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा उनके विचारार्थ भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना चाहिए।”
पीठ ने यह भी कहा कि अगर समयसीमा से अधिक देरी होती है तो उचित कारण बताना जरूरी होगा और संबंधित राज्य को सूचित भी करना होगा।
विधेयकों की देरी संघीय ढांचे के विपरीत
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजकर अनिश्चितकाल तक लंबित रखना, भारत के संघीय ढांचे के अनुरूप नहीं है। यह राज्य सरकारों की विधान निर्माण प्रक्रिया में बाधा बनता है, जो संविधान की भावना के खिलाफ है।
दूसरा राउंड अवैध
SUPREME COURT फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि “राज्यपाल द्वारा किसी विधेयक को एक बार राष्ट्रपति के पास भेजने के बाद उसे फिर से दोबारा राष्ट्रपति के पास भेजना संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत अवैध है।”
अनुच्छेद 201 और उसकी सीमाएं
अनुच्छेद 201 राज्यपाल को यह अधिकार देता है कि वे विधानसभा से पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेज सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इसमें समयसीमा भले न हो, इसका अर्थ यह नहीं कि राज्यपाल अनिश्चितकाल तक विधेयक को रोके रखें।
क्यों है यह फैसला अहम?
SUPREME COURT यह फैसला उन तमाम राज्यों के लिए राहत है जहां राज्यपालों द्वारा विधेयकों को जानबूझकर रोके जाने की शिकायतें मिलती रही हैं। अब स्पष्ट हो गया है कि न तो राज्यपाल और न ही राष्ट्रपति बिना समयसीमा के विधेयक अटकाए रख सकते हैं।