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USAID FUNDING CONTROVERSY : USAID फंडिंग विवाद पर भाजपा-कांग्रेस में तकरार, उपराष्ट्रपति ने जताई चिंता

USAID FUNDING CONTROVERSY: BJP-Congress tussle over USAID funding dispute, Vice President expressed concern

नई दिल्ली। अमेरिका से मिली कथित 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच जबरदस्त राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि USAID की यह फंडिंग भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए थी। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यह फंडिंग भारत को दी जानी थी।

भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने

ट्रंप के इस बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल भारत की चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप का समर्थन कर रहा है। वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि सत्ताधारी पार्टी ने बिना तथ्यों की पुष्टि किए झूठ फैलाया है।

क्या कहती है इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट?

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, 2008 के बाद से भारत में किसी भी चुनाव संबंधी परियोजना के लिए USAID द्वारा कोई फंडिंग नहीं दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर का अनुदान 2022 में बांग्लादेश की “अमर वोट, अमर” परियोजना के लिए दिया गया था, न कि भारत के लिए।

कांग्रेस का हमला – “भाजपा का झूठ उजागर”

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रिपोर्ट के हवाले से भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने “बाहरी ताकतों” का सहारा लेकर विपक्षी दलों को बदनाम करने का प्रयास किया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर गलत जानकारी फैलाकर जनता को गुमराह किया और पार्टी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

भाजपा का पलटवार – “फर्जी रिपोर्ट, कांग्रेस की हताशा”

भाजपा ने इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट को फर्जी करार देते हुए इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया बताया। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि रिपोर्ट 2012 में चुनाव आयोग और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के बीच हुए एमओयू की अनदेखी कर रही है।

मालवीय ने यह भी दावा किया कि IFES का संबंध अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से है, जो मुख्य रूप से USAID की फंडिंग से संचालित होता है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारत की चुनाव प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप बढ़ाने के लिए फंडिंग की कई श्रेणियां बनाई गई थीं, लेकिन रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जताई चिंता

इस मामले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा:

“अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा जो खुलासा किया गया है, वह चौंकाने वाला है। भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और इसमें हेरफेर करने की कोशिश की गई। हमें उन लोगों की पहचान करनी होगी जिन्होंने हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला किया। यह राष्ट्रधर्म है कि उन ताकतों को बेनकाब किया जाए और उन पर प्रतिघात किया जाए।”

क्या होगा आगे?

इस विवाद के बीच, भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हैं। इस मामले पर अब संसद में भी बहस होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, अमेरिका की ओर से भी स्पष्टीकरण आने की उम्मीद है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि USAID फंडिंग को लेकर सच्चाई क्या है।

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