
UPI Payment: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने 16 जून 2025 से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) में एक बड़े बदलाव की घोषणा की है, जिसके तहत यूपीआई लेनदेन अब पहले से कहीं अधिक तेज और सुगम होंगे। एनपीसीआई ने अपने 26 अप्रैल 2025 के सर्कुलर में सभी बैंकों और पेमेंट सेवा प्रदाताओं (पीएसपी) जैसे फोनपे, गूगल पे, और पेटीएम को निर्देश दिए हैं कि वे अपने सिस्टम को अपडेट करें ताकि लेनदेन की प्रक्रिया में लगने वाला समय कम हो। इस बदलाव से यूपीआई उपयोगकर्ताओं को तेजी से भुगतान, स्टेटस चेक, और रिफंड की सुविधा मिलेगी।
नए नियमों की मुख्य विशेषताएँ
लेनदेन समय में कमी: पहले यूपीआई लेनदेन को पूरा होने में औसतन 30 सेकंड लगते थे, लेकिन अब यह समय घटाकर 15 सेकंड कर दिया गया है। ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करने और भुगतान रिवर्सल का समय भी 30 सेकंड से घटाकर 10 सेकंड कर दिया गया है। यह बदलाव एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) रिस्पॉन्स टाइम को 50% तक कम करने के एनपीसीआई के लक्ष्य का हिस्सा है।
ऑटोपे नियमों में बदलाव: स्वचालित भुगतान (ऑटोपे मैंडेट) के लिए अब केवल एक प्रयास और तीन रिट्री की अनुमति होगी, और ये केवल गैर-पीक घंटों में होंगे ताकि सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। पीक घंटे सुबह 10:00 से दोपहर 1:00 और शाम 5:00 से रात 9:30 तक निर्धारित किए गए हैं।
बैलेंस पूछताछ पर सीमा: उपयोगकर्ता अब 24 घंटे में अधिकतम 50 बार बैलेंस पूछताछ कर सकेंगे। इसके अलावा, बैंकों को प्रत्येक वित्तीय लेनदेन के बाद उपयोगकर्ता के खाते का उपलब्ध बैलेंस नोटिफिकेशन में शामिल करने का निर्देश दिया गया है ताकि अनावश्यक बैलेंस चेक कम हों।
सुरक्षा और विश्वसनीयता: एनपीसीआई ने बैंकों और पीएसपी को निर्देश दिए हैं कि तेजी के साथ-साथ लेनदेन की सफलता दर और सिस्टम की स्थिरता प्रभावित न हो। तकनीकी खराबी या असफल लेनदेन की संभावना को कम करने के लिए सिस्टम ऑडिट अनिवार्य किया गया है, जिसका रिपोर्ट 31 अगस्त 2025 तक जमा करना होगा।
उपयोगकर्ताओं के लिए लाभ
तेज लेनदेन: पैसा भेजने, प्राप्त करने, या स्टेटस चेक करने में लगने वाला समय अब आधा हो जाएगा, जिससे उपयोगकर्ताओं को तुरंत पुष्टि मिलेगी।
बेहतर अनुभव: कम देरी और विश्वसनीयता के साथ यूपीआई उपयोगकर्ताओं का अनुभव और भरोसा बढ़ेगा।
कम असफलताएँ: हाल के महीनों में यूपीआई उपयोगकर्ताओं को सर्वर आउटेज और लेनदेन असफलता की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। नए नियम इन समस्याओं को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
नई सुविधाएँ: एनपीसीआई ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में क्रेडिट लाइन एकीकरण और वॉयस-आधारित भुगतान जैसी नई सुविधाएँ भी शुरू की जाएंगी।
चुनौतियाँ और चिंताएँ
सिस्टम अपडेट की समय सीमा: सभी बैंकों और पीएसपी को 31 जुलाई 2025 तक अपने सिस्टम को अपडेट करना होगा। गैर-अनुपालन की स्थिति में एनपीसीआई द्वारा एपीआई प्रतिबंध, जुर्माना, या नए उपयोगकर्ताओं को जोड़ने पर रोक जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
पीक आवर्स में दबाव: यूपीआई नेटवर्क पर पीक आवर्स में भारी लोड के कारण पहले भी आउटेज की समस्या हुई है। नए नियमों के तहत गैर-वित्तीय एपीआई (जैसे बैलेंस चेक) पर प्रतिबंध से उपयोगकर्ताओं को असुविधा हो सकती है।
तकनीकी स्थिरता: विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तेजी के चक्कर में सिस्टम की स्थिरता प्रभावित हो सकती है, जिसे एनपीसीआई ने अपनी प्राथमिकता में रखा है।
यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता
मई 2025 में यूपीआई ने 18 अरब लेनदेन दर्ज किए, जिनका कुल मूल्य 25.14 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33% की वृद्धि दर्शाता है। यूपीआई भारत के डिजिटल भुगतान का 83% हिस्सा संभाए रखता है, जो इसे देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था का रीढ़ बनाता है।
भविष्य की योजनाएँ
एनपीसीआई ने अगस्त 2025 से और अधिक बदलावों की घोषणा की है, जिसमें सिस्टम संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग और पीक आवर्स में लेनदेन ओवरलोड को रोकने के लिए नए दिशानिर्देश शामिल हैं। इसके अलावा, यूपीआई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देने की योजना है, जिसमें एशिया और मध्य पूर्व के देशों के साथ सहयोग पर चर्चा चल रही है।