साराडीह, सकराली सहित आधा दर्जन गांवों के मुआवजा प्रकरण संबंधी धरना एसडीएम से चर्चा के बाद समाप्त

प्रशासनिक स्तर पर 15 दिन का मांगा गया समय, पूर्व मंत्री नोवेल वर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों किसान पहुंचे
डभरा/सक्ती।। डभरा ब्लॉक के साराडीह बैराज से उद्योगों को पानी दिया जा रहा है, लेकिन प्रभावितों को राहत के नाम पर शासन प्रशासन ठेंगा दिखा रही है, वहीं उद्योग नीति का भी खुले रूप से उल्लंघन किया जा रहा है।
इन सब मुद्दों को लेकर साराडीह, सकराली, पुरैना, उपनी के प्रभावित किसान पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा के नेतृत्व में साराडीह बैराज के पास धरने पर बैठे थे। प्रभावितों की मुख्य मांग थी कि शासन प्रशासन द्वारा अनुसूची 2 के कंडिका 4 का पालन नहीं किया गया है, जिसमें साफ है कि अगर किसानों की जमीन अधिग्रहण की जाती है तो उनके परिवार से एक को नौकरी या पांच लाख रुपए दी जानी है, वहीं धारा 80 अंतर्गत प्रभावितों को मुआवजा की राशि में देरी पर ब्याज का भी प्रावधान है जिसमें शून्य से 2 वर्ष अंतर्गत 9 प्रतिशत व 2 वर्ष से अधिक अगर मुआवजा नहीं मिला है तो 15 प्रतिसत प्रतिवर्ष के हिसाब से मूलधन का ब्याज भी देय होना है। साथ ही उद्योग नीति के कंडिका 15 जिसमें प्रभावित किसानों को शासन द्वारा रजिस्ट्री शुल्क छूट प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया है, वहीं सिंचाई विभाग की ओर से डूबान क्षेत्र का पूरा सर्वे भी नहीं किया गया है जिससे बहुत से किसान आज भी दर दर भटक रहें हैं, और उनकी सुनवाई में हमेशा विभागों का सौतेलापन सामने दिखाई पड़ता है। गत दिनों माननीय उच्च न्यायालय द्वारा धारा 80 का अनुपालन करने हेतु अधिग्रहण व मुआवजा संबंधी विभाग को कहा गया है लेकिन माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रभावितों को न्याय के नाम पर शून्य ही मिला है, वहीं प्रभावित गांव के किसानों द्वारा जिला कलेक्टर के पास भी गुहार लगाई गई लेकिन वहां भी कुछ हासिल नहीं होने के बाद मायूस किसान अपने नेता व पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा के साथ बैराज के ऊपर ही धरने पर बैठ गए। इस अवसर पर प्रभावित गांव के किसान और नेतृत्वकर्ताओं ने शासन प्रशासन की जनविरोधी नीतियों को लेकर आक्रोश भी दिखाए। किसानों का नेतृत्व कर रहे पूर्व मंत्री नोवेल कुमार वर्मा ने कहा कि यह वही साराडीह बैराज है जिसके लिए जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो राष्ट्रीय नेताओं के नेतृत्व में पदयात्रा किए थे, उस समय आंदोलन का लाभ आधा अधूरा मिला था लेकिन जब प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में है तो अब क्यों पीड़ितों की बात नहीं सुन रही है। श्री वर्मा ने आगे कहा कि स्थानीय किसानों की जमीन तो 2013 से ही डूबान में आ गया था मगर भाजपा की सरकार ने मुआवजा प्रकरण 2017 की स्थिति में बनाया उसे भी किसानों ने माना लेकिन हद तब हो गई जब किसानों का मुआवजा देने में सरकार के हांथ पांव फूलने लगे,