छत्तीसगढ़ में अवैध प्लाटिंग और अतिक्रमण के खिलाफ सरकार सख्त, विधानसभा में सत्र के दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने की थी घोषणा
रायपुर। प्रदेश भर में हो रही अवैध प्लाटिंग और अतिक्रमण के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। इन अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए जल्द ही नए नियम बनाए जाएंगे। यह घोषणा बीते मंगलवार को विधानसभा में आयोजित सत्र के दौरान आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने की। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई और राजस्व मंत्री को एक महीने के भीतर इस मामले पर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। चौधरी ने बताया कि पहले कृषि भूमि को छोड़कर 5 डिसमिल से छोटी जमीन के लिए स्वामित्व हस्तांतरण नहीं होता था। पिछली सरकार ने इस नियम को खत्म कर दिया था, जिससे अवैध प्लाटिंग में बढ़ोतरी हुई है।
बता दें कि, भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने धरसींवा विधानसभा क्षेत्र के गांवों में हो रही अवैध प्लाटिंग और अतिक्रमण को लेकर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि, इस मामले पर उन्होंने पहले भी सवाल उठाए थे और कार्रवाई का आश्वासन भी मिला था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने स्कूल परिसर, चरागाह और विधानसभा की संपत्ति पर हुई अवैध प्लाटिंग के बारे में जानकारी ली। साथ ही उन्होंने पूछा कि जो लोग अपनी जमीन बेचकर चले गए हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।
‘अवैध प्लाटिंग के संबंध में 2021 से 2023 तक मिली हैं शिकायतें’
इन के जवाब में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि, धरसींवा में अवैध प्लाटिंग के संबंध में 2021 से 2023 तक शिकायतें मिली हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अकेले राजस्व विभाग अवैध प्लाटिंग पर लगाम नहीं लगा सकता और इसके लिए नगर निगम, शहरी और ग्रामीण विकास और रजिस्ट्री को शामिल करते हुए एक संयुक्त समिति गठित करने की जरूरत है। वर्मा ने विधायक से लिखित जानकारी देने का अनुरोध किया ताकि सभी मामलों की जांच की जा सके।
कृषि भूमि की अवैध प्लाटिंग पर सख्त कार्रवाई होगी
पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि, सरकार ने पांच साल पहले डॉ. रमन सिंह के शासनकाल में बनाए गए नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है, जिसमें अवैध प्लाटिंग करने वालों को जेल भेजने का प्रावधान शामिल है। मूणत ने जोर देकर कहा कि राज्य में हजारों लोगों ने बिना वैध लेआउट या परमिट के कृषि भूमि खरीदी है, जिसके कारण वे बिजली, पानी या स्वीकृत योजनाओं जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं।