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बजट सत्र चार-पांच मार्च से हो सकता है शुरू… मंथन का दौर पूरा, अब प्रकाशन की तैयारी, प्रदेश का बजट एक लाख करोड़ से ऊपर साथ बने राज्यों झारखंड-उत्तराखंड से ज्यादा…

प्रदेश का नया बजट इस बार एक लाख दो करोड़ रुपए तक का हो सकता है। इसकी वजह यह कि सरकार ने पहले ही विभागों से कह दिया था कि बजट के प्रस्तावों में पांच फीसदी से अधिक वृद्धि नहीं करेंगे। इस बार की बढ़ोतरी तीन प्रतिशत अधिक होगी। राज्य का पहला बजट 5705 करोड़ रुपए का था। पिछले साल यह बढ़कर 97 हजार 106 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इन दो दशकों में बजट का ग्राफ चढ़ता-उतरता रहा है।

इसमें 1 से 35 प्रतिशत तक परिस्थिति के अनुसार वृद्धि होती रही। खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ के साथ गठित झारखंड और उत्तराखंड का बजट अब भी कम है। झारखंड का बजट पिछले साल जहां 91 हजार करोड़ था, वहीं उत्तराखंड का बजट 57 हजार करोड़ था। छत्तीसगढ़ को राज्य बने 21 साल हो गए। सीएम भूपेश बघेल विधानसभा में मार्च में एक तरह से युवा बजट पेश करेंगे। बजट प्रस्तुत करने का अवसर बघेल से पहले स्व. रामचंद्र सिंहदेव, अमर अग्रवाल, डॉ. रमन सिंह को मिला है। बजट सत्र इस बार फरवरी के बजाय मार्च में होगा। सीएम ने मंत्रियों से बजट पर मंथन पूरा कर लिया है।

मंत्रियों से रायशुमारी के बाद नए बजट में जिन मुद्दों को लेकर सहमति दी गई है, उन्हें वित्त विभाग के अधिकारी नए बजट में शामिल कर रहे हैं। एक फरवरी से संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर भी सरकार की नजर रहेगी। केंद्रीय बजट में राज्य की हिस्सेदारी पर फोकस होगा। उसे भी नए बजट में एडजस्ट किया जाएगा। कैबिनेट की सहमति के बाद इसे प्रकाशन के लिए सरकारी प्रेस भेजा जाएगा। इस वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि बजट सत्र चार-पांच मार्च से हो सकता है। हालांकि इसकी अधिसूचना विधानसभा सचिवालय ही जारी करेगा।

कोरोना व चुनाव ने सरकाया बजट सत्र
कोरोना के बढ़ते संक्रमण और यूपी चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अहम भूमिका की वजह से बजट सत्र फरवरी के बजाए मार्च तक प्रस्तुत होगा। सत्र को आगे बढ़ाने के बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्पीकर डॉ. चरण दास महंत व संसदीय कार्य मंत्री रवींद्र चौबे में पहले ही सहमति बन गई थी। स्पीकर डॉ. महंत ने इसकी पुष्टि की है। प्रमुख सचिव सीएस गंगराडे ने कहा कि बजट सत्र की तारीखें बाद में घोषित की जाएंगी। बजट सत्र सामान्यतया 21 से 25 दिन चलता है। नए बजट को लेकर प्रशासनिक व वित्त विभाग की तैयारी लगभग अंतिम दौर में है।

गिलोटिन भी है जल्द बजट पास करने का विकल्प
जानकारों का कहना है कि बजट सत्र के समय में फेरबदल नई बात नहीं है। ऐसा अक्सर तब होता है जब राज्य या केंद्र में सरकारें बदलती हैं। तब भी तीन-चार महीनों के लिए टेंटेटिव बजट पास कर काम चलाया जाता है। मुख्य बजट बाद में पारित किया जाता है। इसी तरह अगर सरकार चाहे तो लंबे बजट सत्र की जगह गिलोटिन ला सकती है। यह छोटे बजट सत्र का विकल्प है। इसका आशय यह है कि चार-पांच मुख्य मदों को सदन में एक साथ प्रस्तुत कर चर्चा के बाद पारित कर लिया जाता है। इसमें सामान्यत: वर्कर्स डिपार्टमेंट जैसे पीडब्लूडी, फारेस्ट, पीएचई, आवास आदि विभागों की मांगें या बजट प्रस्ताव शामिल रहते हैं। बाकी बजट को त्यों का त्यों या लघु चर्चा के बाद पास कर दिया जाता है।

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