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SUPRIM COURT : भगोड़ा घोषित जाकिर नाइक की याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उठाए सवाल

SUPRIM COURT: Solicitor General Tushar Mehta raised questions on the petition of Zakir Naik declared fugitive.

सुप्रीम कोर्ट में विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार ने गंभीर सवाल उठाए हैं, 2012 मेंगणपति उत्सव के दौरान उसने अपने कथित आपत्तिजनक बयानों को लेकर कई राज्यों में दर्ज प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने काअनुरोध किया था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जाकिर नाइक की याचिका को खारिज करने की मांग की बल्कि इसकेऔचित्य पर भी सवाल उठाया.

सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह कीपीठ के सामने प्रश्न उठाया कि एक व्यक्ति जो भगोड़ा घोषित किया गया है, संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत एक याचिका कैसे दायरकर सकता है? मेहता ने कहा कि जाकिर नाइक भगोड़ा है और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप का हकदार नहीं है.

SG मेहता ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की कमियों को भी उजागर किया और कहा कि जाकिर नाइक के हस्ताक्षर याचिका पर नहीं हैं. मेहताने जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, “सवाल यह है कि क्या नाइक, जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, ऐसी राहत केलिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका (मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए) दायर कर सकता है.” “एक व्यक्ति जिसे न्यायालय द्वाराभगोड़ा घोषित किया गया है, वह अनुच्छेद 32 की याचिका कैसे दायर कर सकता है?”

 “उसके वकील ने मुझे बताया कि वे मामला वापस ले रहे हैं. हमारा जवाब तैयार है.” इसके जवाब में, नाइक के वकील ने कहा कि उसेमामले को वापस लेने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिला है और याचिका में लगभग 43 प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोधकिया गया है, जो अलगअलग राज्यों में दर्ज की गई हैं.

खंडपीठ ने कहा कि दायर किए जाने वाले हलफनामे में राज्य को सभी प्रारंभिक आपत्तियां उठाने का अधिकार है, लेकिन मेहता ने कहा, “रजिस्ट्री ने अपनी कार्यालय रिपोर्ट में इस दोष को इंगित किया है कि उन्हें पहले यहां आकर याचिका पर हस्ताक्षर करने होंगे क्योंकिआखिरकार वह एक भगोड़ा है..तो क्या माननीय न्यायाधीश उस आपत्ति को माफ कर सकते हैं?”

नाइक के वकील एस हरिहरन ने मेहता की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि नाइक को किसी भी अदालत ने भगोड़ा घोषित नहींकिया है,चाहे वह घरेलू हो या विदेशी. उन्होंने पूछा, “मेरे मुवक्किल को भगोड़ा घोषित करने वाला अदालती आदेश कहां है? ऐसा कोईआदेश नहीं हैजहां तक मामलों को एक साथ जोड़ने का सवाल है, शुरू में लगभग पच्चीस मामले थे, जो अब चार रह गए हैं. अगरअदालत चाहे तो हम इसे इस अदालत से वापस लेकर क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में जा सकते हैं.

नाइक फिलहाल विदेश में है, और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) उसकी संलिप्तता की जांच कर रहा है. इसके बाद, शीर्षअदालत ने नाइक के वकील को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि वह मामले को जारी रखेगा या वापस लेगा. 23 अक्टूबर कोमामले की अगली सुनवाई होगी.

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