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SRI LANKA CRISIS : संसद विशेष सत्र में पढ़ा गया श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का इस्तीफा

Former Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa’s resignation read out in special session of Parliament

डेस्क। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने अपने इस्तीफे में अपना साफ-साफ बचाव किया है. राजपक्षे ने कहा है उन्होंने अपनी पूरी क्षमता से अपनी मातृभूमि की सेवा की और भविष्य में भी करते रहेंगे. शनिवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान उनका ये इस्तीफा पढ़ा गया. राजपक्षे के इस्तीफे के बाद श्रीलंका की संसद ने राष्ट्रपति पद की घोषणा के लिए एक बैठक की है. 19 जुलाई को राष्ट्रपति उम्मीदवार का नामांकन होगा. बता दें देश में आर्थिक संकट से उपजे विद्रोह बाद गोटाबाया बुधवार को देश से भाग गए थे.

श्रीलंका में संसद का विशेष सत्र –

राष्ट्रपति गोटाबाया इस्तीफे के बाद श्रीलंका की संसद ने राष्ट्रपति पद की घोषणा के लिए एक खास संक्षिप्त सत्र चला. संसद का यह सत्र केवल 13 मिनट का ही रहा और इसी दौरान सिंगापुर से राजपक्षे का भेजा गए इस्तीफे पत्र को पढ़ा गया. इस इस्तीफे में भी राजपक्षे अपना बचाव करते नजर आए हैं. उन्हों आर्थिक संकट के लिए खुद को जवाबदेह ठहराने की जगह ठीकरा कोविड महामारी के सिर फोड़ा है.

राजपक्षे ने कहा देश की सेवा करते रहेंगे –

संसद सत्र में पढ़े गए इस्तीफे में 73 साल के गोटाबाया राजपक्षे ने कोविड महामारी (COVID-19) में किए गए लॉकडाउन को श्रीलंका के आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने ये कहते हुए अपना बचाव किया कि उनके राष्ट्रपति बनने के तीन महीने के भीतर ही पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी की चपेट में आ गई. उन्होंने कहा, “मैंने उस समय पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए कार्रवाई की.”

राजपक्षे ने कहा, “2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर किया गया और विदेशी मुद्रा की स्थिति बिगड़ गई. मेरे विचार में, मैंने स्थिति से निपटने के लिए एक सर्वदलीय या राष्ट्रीय सरकार का सुझाव देकर सबसे अच्छा कदम उठाया. मैंने अपनी क्षमता के अनुसार अपनी मातृभूमि की सेवा की और भविष्य में भी करता रहूंगा. जैसा कि आपने 9 जुलाई को पार्टी नेताओं की इच्छा के बारे में बताया था, मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया. मैं 14 जुलाई से इस्तीफा देता हूं.”

बदे दें कि राजपक्षे बुधवार को मालदीव भाग गए थे और फिर गुरुवार को सिंगापुर में उतरे, जब उन्हें “निजी यात्रा” पर देश में प्रवेश करने की अनुमति दी गई. सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजपक्षे ने न तो शरण मांगी है और न ही उन्हें कोई शरण दी गई है.

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