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तिरछी नजर 👀 : ईडी के हाथ अब तक खाली? ✒️✒️

शराब घोटाला केस में कारोबारी अनवर ढेबर को ईडी ने मुख्य आरोपी के तौर पर पेश किया और उन्हें लेकर बढ़ चढ़कर दावे पेश किए गए। लेकिन 14 दिन रिमांड पर रखने के बाद ईडी के हाथ कोई ठोस जानकारी नहीं लगी।
बताते हैं कि पूछताछ में अनवर एक तरह से खामोश रहे और जिन लोगों के साथ मिलकर घोटाला करने के आरोप लगाए गए उनसे किसी तरह के कारोबारी संबंध होने से मना कर दिया। चूंकि पूछताछ की वीडियोग्राफी हुई थी और वकील भी थे ऐसे में ईडी के अफसर बल प्रयोग नहीं कर सकते थे। लिहाजा, ईडी के हाथ खाली रहे।

रायपुर नगर निगम पर भी नजर..

ईडी की कार्रवाई के बाद कई विभागों के अधिकारी परेशान है। निगम मंडलों पर भी तिरछी नजर पडऩे लगी है। खासकर रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर है इसलिए ईडी की नजर कमाऊ विभागों के अलावा रायपुर नगर निगम के स्मार्ट सिटी की योजनाएं और नये रायपुर में चलने वाले काम की जानकारी मांगी गयी है। नगर निगम महापौर ने यूनीपोल घोटाला उजागर कर पहले ही दो आईएएस अफसर सौरभ कुमार व मलिक के कार्यप्रणाली पर सवालिया प्रश्न कर नाराज कर दिया है।

रविन्द्र चौबे स्वस्थ्य हैं….

संसदीय एवं पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे इन दिनों अपने पैरों में तकलीफ होने के कारण घर में आराम कर रहें है पर उनके विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। चौबे जी के तबियत को लेकर यह अफवाह उड़ाई जाती है कि उनकी जगह में बड़े भाई प्रदीप चौबे या पुत्र चुनाव लड़ सकते हैं। दोनों ही साजा विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। रविंद्र चौबे प्रदेश में चलती राजनीतिक गतिविधियों पर बारिकी नजर रखें हुए हैं। लेकिन मैदान में उनकी जगह पाने के लिए कई मंत्री व राजनेता सीएम हाऊस की दौड़ में लगा रहें है। उनके करीबियों का कहना है कि चौबे जी पूरी तरह स्वस्थ्य हैं, स्वास्थ्य में कोई तकलीफ नहीं है विभाग के सारे कामकाज समय सीमा पर हो रहे हैं। दौरा कार्यक्रम व सार्वजनिक समारोह पर कुछ दिनों के लिए जरुर पाबंदी है।

ईडी ने छकाया..

होटल कारोबारी मंदीप सिंह चावला के यहां भी शराब घोटाला केस में ईडी ने रेड डाली थी। मंदीप उस वक्त घर पर नहीं थे। ईडी ने उनका स्वर्णभूमि स्थित घर सील कर दिया।
बताते हैं कि मंदीप लौटे तो घर सील पाया। इसके बाद वो रायपुर स्थित ईडी दफ्तर पहुंचे तो उनसे कहा गया कि रेड मुंबई की टीम ने डाली है इसलिए वो ही सील खुलवा सकते हैं। इसके बाद मंदीप ने अपने एक स्टाप को मुंबई आफिस भेजा, तो उन्होंने कह दिया कि सारी कार्रवाई रायपुर आफिस के लोग देख रहे हैं।
मंदीप फिर रायपुर स्थित ईडी आफिस पहुंचे तो अफसरों के तेवर बदले थे। ईडी अफसरों ने उनसे कहा कि आप लोग समंस देने के बाद भी नहीं आए इसलिए घर सील कर दिया गया है। बताते हैं कि मंदीप ने कहा कि उन्हें कोई समंस नहीं मिला है। वो यहां उपस्थित हैं। उनसे पूछताछ के लिए तैयार है।बताते हैं कि पहले दिन तो उन्हें दिनभर बिठाए रखा गया और फिर शाम में कहा गया कि आज व्यस्त हैं इसलिए पूछताछ अब कल होगी। मंदीप ने उनसे आग्रह किया कि घर में चोरी हो सकती है। उसके बाद फिर उनसे अगले दिन पूछताछ की गई और फिर घर का सील हटाया गया।

उल्टे बांस बरेली को

ऐसे संकेत है कि विधानसभा चुनाव के टिकटों में भाजपा साहू समाज को खासा तवज्जो देगी। समाज के लोग भाजपा नेताओं को अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित भी कर रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों भाटापारा इलाके में नेताजी को लेने के देने पड़ गए। वह समाज के कार्यक्रम में गए थे और उनकी एक टिप्पणी ने समाज के लोगों को इतना उद्वेलित किया कि नेताजी को कार्यक्रम छोड़कर उल्टे पांव भागना पड़ा। गुस्साए लोगों ने नेताजी की कार भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दी। नेताओं ने ज्ञान पेलने की आदत नहीं बदली तो चुनाव में इससे भी बुरी तस्वीर देखने को मिल सकती है।

नोट नहीं गाल भी गुलाबी

गुलाबी नोट वालों के गाल फिर गुलाबी हो गए हैं। न नोट बदलवाने के लिए बैंकों की कतार में खड़ा होना पड़ेगा और ना ही रकम ठिकाने लगाने का टेंशन। यदि आप राजनेता या बड़े अफसर हैं तो यह सुविधा आपके लिए है। वह भी घर पहुंचाकर। असल में शराब दुकानें करंसी एक्सचेंज काउंटर में तब्दील हो गईं हैं। वहां होने वाली नकद बिक्री की रकम धड़ल्ले से गुलाबी नोट में बदल रही है। वह भी बिना किसी कमीशन के। इस बहती दारू-गंगा में बड़े नामी-गिरामी लोग अपने हाथ धो रहे हैं। आखिर आपदा को अवसर में बदलने का गुर सब सीख गये हैं।

दिक्कत में दावेदार

विधानसभा चुनाव को छह महीने बाकी है मगर टिकटों की दावेदारी दीवारों पर साफ दिख रही है। चुनावी रंग से रंगी दीवारों ने पुराने भाजपा नेताओं के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इस कारण नये दावेदारों को पुराने नेताओं की न सिर्फ झिड़की सुननी पड़ रही है बल्कि उन्हें कई मौकों पर अपमानित भी होना पड़ रहा है। वहीं पुराने नेता टिकट की घोषणा हुए बिना जनसंपर्क शुरू कर दिये हैं। वे मानकर चल रहे हैं कि उनके क्षेत्र से किसी अन्य की दावेदारी करना महापाप माना जाएगा। घर घर जाकर कार्यकर्ताओं को जगाने का काम भी शुरू हो गया है। लेकिन 15 साल की चोट इतनी गहरी है कि कार्यकर्ता घर से निकलने को राजी नहीं हैं।

 

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