
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में कांग्रेस की मजबूत धुरी के रूप में पहचान रखने वाले मंत्री टीएस सिंहदेव से सियासी सुर सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बदल गए हैं। पिछले दो महीने में कई अवसरों पर सिंहदेव ने कहा कि वह चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रखते हैं। चुनाव घोषणापत्र के वादे पूरे नहीं होने पर उनकी निराशा भी खुलकर सामने आई। अनियमित कर्मचारियों से फोन पर चर्चा में सिंहदेव ने लाचारगी जताते हुए कहा था कि वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक सिर्फ आपकी बात को पहुंचा सकते हैं। पिछले सप्ताह सोनिया गांधी से मुलाकात हुई। साथ ही सिंहदेव ने राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल, कुमारी सैलजा और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। उसके बाद रायपुर पहुंचे सिंहदेव ने पूरी दमदारी से कहा कि वह प्रदेश की राजनीति में एक्स्ट्रा प्लेयर नहीं है।
सिंहदेव के करीबी नेताओं की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व ने सिंहदेव को आश्वस्त किया है कि उनकी राजनीतिक संभावनाएं कम नहीं होंगी। केंद्रीय नेतृत्व से संकेत मिलने का असर प्रदेश की राजनीति में भी दिखने लगा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री बघेल अंबिकापुर के दौरे पर थे। उस दौरान उन्होंने आदित्येश्वर को न सिर्फ मंच पर बिठाया, बल्कि अपने भाषण में उनका नाम भी लिया।
सिंहदेव की सोनिया से मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा थी कि सिंहदेव खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे और उनके भतीजे आदित्येश्वर शरण सिंह भाजपा की टिकट पर अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बन सकते हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो सिंहदेव का सरगुजा की राजनीति में खासा प्रभाव माना जाता है। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे सिंहदेव के प्रभाव के कारण ही पिछले विधानसभा चुनाव में सरगुजा की 14 विधानसभा सीट में से सभी पर कांग्रेस को जीत मिली थी।