SC on Justice Yashwant Verma cash case: कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने FIR दर्ज करने से किया इनकार

SC on Justice Yashwant Verma cash case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. यह मामला तब चर्चा में आया जब 14 मार्च को उनके लुटियंस दिल्ली स्थित आवास के स्टोर रूम में आग लगने के बाद भारी मात्रा में अधजले नोट मिलने की खबर सामने आई थी. इस घटना के बाद देशभर में न्यायपालिका की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठने लगे थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस कमेटी कर रही है और रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई के सभी विकल्प मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पास उपलब्ध रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
शीर्ष अदालत की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां शामिल थे, ने वकीलों मैथ्यूज जे नेदुम्परा और हेमाली सुरेश कुर्ने द्वारा दायर याचिका को “समय से पहले” करार दिया. पीठ ने कहा कि इन-हाउस जांच अभी चल रही है, और यदि इसमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जा सकता है या मामला संसद को भेजा जा सकता है.
याचिकाकर्ता का तर्क और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
वकील नेदुम्परा ने सुनवाई के दौरान अन्य मामलों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि केरल में POCSO मामले में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगे थे, लेकिन पुलिस ने उनका नाम तक दर्ज नहीं किया. उन्होंने सवाल उठाया कि इस मामले में कोई FIR क्यों नहीं दर्ज की गई और कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. इस पर न्यायमूर्ति ओका ने इन-हाउस जांच प्रक्रिया पर जोर देते हुए कहा कि जांच पूरी होने के बाद सभी विकल्प खुले हैं.
न्यायपालिका पर उठे सवाल
नेदुम्परा ने कहा कि आम आदमी समझना चाहता है कि 14 मार्च की घटना के बाद कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. इस पर न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि आम जनता को सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए. इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने भी इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.
जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी
CJI संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन जजों की एक समिति गठित की है. इस समिति का नेतृत्व पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू कर रहे हैं, जबकि इसमें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन भी शामिल हैं. समिति ने हाल ही में जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया और घटनास्थल का निरीक्षण किया.
दिल्ली पुलिस की भूमिका और जांच प्रक्रिया
दिल्ली पुलिस ने उस क्षेत्र को सील कर दिया है, जहां अधजले नोट मिले थे, और इसकी वीडियोग्राफी भी करवाई गई है. जांच के दौरान दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग से भी पूछताछ की गई है और उनके बयान दर्ज किए गए हैं. सूत्रों के अनुसार, मामले में कई नए घटनाक्रम सामने आ सकते हैं.