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नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व शीर्ष अधिकारियों को SC ने जारी किया नोटिस,एसआईटी ने मामले को किया कमजोर

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को (Chhattisgarh) छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के पूर्व शीर्ष अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। उसमें यह आरोप लगाए गए हैं कि इन्हें बचाने के लिए एसआईटी ने मामले को कमजोर किया है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि एसआईटी ने आरोपी नौकरशाह के केसों को हल्का किया है।

(Chhattisgarh) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपी व्यक्तियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच व्हाट्सएप चैट को सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ को दिखाने के लिए पढ़ा। इसमें कथित प्रभाव का जिक्र है। कैसे कानून के अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें जमानत मिल गई। आरोपी खाद्यान्न की खरीद और परिवहन में करोड़ों रुपये का कथित गबन शामिल था।

पीठ ने नागरिक अपूर्ति निगम के पूर्व एमडी अनिल कुमार टुटेजा और निगम के पूर्व अध्यक्ष आलोक शुक्ला को नोटिस जारी किया। साथ ही अग्रिम जमानत पर रोक के लिए उनकी प्रतिक्रिया भी मांगी।  अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।

(Chhattisgarh) नौकरशाहों की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग करते हुए  ईडी ने कहा कि पिछले साल अगस्त में एचसी द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देने के बाद, अधिकांश गवाहों ने अपने बयान वापस ले लिए हैं। जो एक मजबूत संकेतक है। आरोपी मामले में अपने प्रभाव का कैसे दुरुपयोग कर रहे हैं।

आयकर विभाग द्वारा जब्त किए गए मोबाइल फोन पर बातचीत के सबूत सीलबंद कवर में  एजेंसी के साथ साझा करते हुए, एसजी ने कहा, “आईटी विभाग द्वारा जब्त किए गए मोबाइल फोन में बातचीत से चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दोनों मुख्य आरोपी ने अभियोजन एजेंसी के क्रमिक प्रमुखों जैसे कि आर्थिक अपराध शाखा, छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक बहुत वरिष्ठ कानून अधिकारी, एसआईटी के सदस्यों और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से अपराध को कमजोर किया है। मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों के गवाहों को कमजोर किया।

ईडी ने अधिवक्ता कानू अग्रवाल द्वारा तैयार किए गए अपने आवेदन में कहा, “इस तरह के संदेशों की प्रतिलिपि स्पष्ट रूप से सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने और कुछ संवैधानिक पदाधिकारियों की एक संभावित साजिश को प्रकट करती है।”

“प्रतिलेख की सामग्री की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, ईडी, इस समय प्रतिलेख को ‘सीलबंद कवर’ में रखता है, जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिए जाने वाले निर्णय के अधीन है कि इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा जाए या नहीं,” ईडी ने कहा।

वहीं, इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने भी यह आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था।

वहीं, ईडी ने इस मामले में दोनों आरोपियों से पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने की मांग की है। साथ ही अग्रिम जमानत याचिका भी रद्द करने की मांग की है। ईडी ने एससी से कहा है कि आरोपी बाहर रहने पर केस को प्रभावित करेंगे। साथ ही न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाएंगे।

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