रायपुर । उपाध्याय प्रवर युवा मनीषी श्री मनीष सागरजी महाराज साहब ने शुक्रवार को टैगोर नगर स्थित पटवा भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए जीवन कल्याण के लिए धर्म से जुड़ने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ प्रतिमा से नहीं बल्कि परमात्मा से और उनके गुणों से नाता जोड़ना है ।
चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए उपाध्याय भगवंत ने कहा कि प्रतिमा हमें सिर्फ भान कराने का मौका देती है कि प्रभु कितने सुंदर हैं । वही हमें भगवान तक पहुँचने का मौका देती है। इसलिए हमें प्रभु को पाने का लक्ष्य तय कर आगे बढ़ना है । यहीं से हमारे जीवन के सुधार की प्रक्रिया शुरू होती है । युवा मनीषी श्री मनीष सागरजी ने कहा कि शहरों में संस्कृति बदल रही है । महानगरों में तो और भी हालात खराब हैं ।
वहाँ कुछ लोग ही प्रभु का दर्शन-पूजन कर पाते हैं । हमने अनंतकाल तक प्रभु से नाता नहीं जोड़ा, इसलिए तिर्यंच गति में भटकते रहे । पुण्योदय के कारण हमें मानव जीवन मिला है । यदि हमने प्रभु से नाता जोड़ लिया तो दोबारा मानव जीवन, जैन कुल और भारत देश स्वयं ही मिल जाएगा । यदि हम गुरु के चरणों में रहकर अपना जीवन सुधारते हैं तो गुरु के लिए इससे अच्छी भेंट कोई हो नहीं सकती । अतः हमें प्रतिमा से परमात्मा और प्रभु के गुणों तक पहुंचना है । जीवन के केंद्र में परमात्मा होने चाहिए। दिनभर में एकबार कोशिश अवश्य करनी चाहिए कि मंदिर जाकर परमात्मा के दर्शन-पूजन, चैत्यवंदन करें। उन्होंने प्रतिदिन सामयिक और प्रतिक्रमण करने पर भी जोर देते हुए कहा कि जिस प्रकार हम घर को साफ़ रखते हैं । उसी प्रकार आत्मा की सफाई भी जरूरी है ।
पाँच ज्ञान व सूत्र की बोली रविवार को
सहजानंदी चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्याम सुंदर बैदमुथा ने बताया कि पाँच ज्ञान व सूत्र की बोली रविवार को होगी । तत्पश्चात सोमवार को लाभार्थी परिवार सोमवार को उसे महाराज साहब को बोहरा सकेंगे। प्रवचन प्रतिदिन सुबह नौ बजे से टैगोर नगर स्थित पटवा भवन में आयोजित है।
