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HC VERDICT : सेवा निवृत्त DEO बरनाबस बखला को मिली राहत, हाईकोर्ट ने रोक दी वसूली प्रक्रिया

HC VERDICT : Retired DEO Barnabas Bakhla gets relief, High Court stops recovery process

रायपुर/बिलासपुर, 16 मई 2025। HC VERDICT छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रायगढ़ के सेवा निवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी बरनाबस बखला से वसूली पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश वसूली आदेश नहीं है और याचिकाकर्ता से कोई वसूली नहीं की जा सकती।

बरनाबस बखला ने अपने अधिवक्ताओं मतीन सिद्दीकी और अपूर्वा पांडे के माध्यम से याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा उनकी पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण रोकने के फैसले को असंवैधानिक बताया था। उन्होंने इसे नियम विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी थी।

क्या है पूरा मामला?

HC VERDICT वर्ष 2017 में भारत सरकार के ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन’ के तहत रायगढ़ जिला ग्रंथालय के लिए 87 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 230 लाख रुपये तकनीकी उन्नयन हेतु थे। इस दौरान बरनाबस बखला रायगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी पद पर तैनात थे।

सेवानिवृत्ति के बाद कलेक्टर रायगढ़ ने एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसने वित्तीय अनियमितता की बात कहते हुए वसूली और आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की। इसके आधार पर वर्तमान DEO रायगढ़ ने 24 अप्रैल 2025 को एक आदेश जारी कर बरनाबस बखला से 15 दिन में जवाब और भुगतान प्रमाण प्रस्तुत करने को कहा था।

कोर्ट में दी गई दलीलें

याचिकाकर्ता के वकील मतीन सिद्दीकी ने दलील दी कि यह पूरी प्रक्रिया सेवा निवृत्त अधिकारी को प्रताड़ित करने की मंशा से की गई है, जो Chhattisgarh Civil Services Pension Rules, 1976 के तहत नियमों के विरुद्ध है।

याचिका में यह भी कहा गया कि जब तक जांच के निष्कर्ष न्यायिक रूप से सिद्ध नहीं होते, तब तक पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों को रोका जाना अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।

सरकार का पक्ष और कोर्ट का फैसला

HC VERDICT शासकीय अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता से किसी प्रकार की वसूली नहीं की जा रही है। इस तर्क के बाद माननीय न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु ने याचिका को निराकृत करते हुए स्पष्ट किया कि कोई वसूली आदेश प्रभावी नहीं है।

बरनाबस बखला को राहत

इस फैसले से बरनाबस बखला को फिलहाल बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अब उनके पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य लाभों पर तत्काल असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, जांच की प्रक्रिया और भविष्य की वैधानिक कार्रवाई की दिशा अब शासन के अगले कदमों पर निर्भर करेगी।

 

 

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