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रायपुर। सुराजी ग्राम योजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जनहितकारी योजनओं का एक हिस्सा है, जिसके तहत करोड़ों ग्रामीणों को अपनी आय में वृद्धि करने का मौका मिला है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए एक लाभकारी पहल है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें राज्य सरकार की तरफ से पूरा सहयोग किया जा रहा हैं। वहीं, इन सभी गतिविधियों में गांवों के महिला समूह और युवाओं को जोड़ा जा रहा है। साथ ही गौठानों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को भी सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
सुराजी गांव योजना छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की एक कल्याणकारी योजना है। इस योजना की शुरुवात 2 अक्टूबर 2019 से शुरू की गई है। इस योजना के तहत मुख्य रूप छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी (निशानी) नरवा, गरवा, घुरुवा, बारी को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है। इस योजना के तहत सड़क पर घूमने वाले पशुओं के लिए गौशालाएं बनाई जाती हैं और उनके लिए चारे का भी बंदोबस्त किया जाता है। इसके तहत जलवायु की चुनौतियों से निपटने के लिए भी विभिन्न कदम उठाए गए और राज्य में वृक्षारोपण, मिट्टी के बांध, खेती की मेढ़े, कुएं और तालाब बनाए भी गए हैं। साथ ही इस योजना का एक और उद्देश्य प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बना कर गांव की अर्थव्यवस्था को सुधारने और पशुओं को सुरक्षित करना भी है। यह योजना किसानो के लिए अपनी आय बढ़ने का एक अच्छा और सरल साधन है।
दरअसल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के 4 साल पूरे हो चुकें हैैं। इन चार सालों के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को पूरा करने का संकल्प मुख्यमंत्री ने लिया और इसका क्रियान्वयन करने ऐसी अनेक जनहितकारी योजनाएं बनाई, जिससे किसानों, महिलाओ और युवाओं को जोड़ा गया। यह सुराजी ग्राम योजना इन्हीं जनहितकारी योजनाओं का एक हिस्सा है। इस योजना के तहत, गौशालाओं, गौठानों और नालों का पुनर्निर्माण करवाया गया, ताकि इनके जरिए खेतों की सिंचाई और पेयजल व्यवस्था सुधार सके। इस योजना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन के साथ-साथ अन्य आर्थिक गतिविधियां प्रारंभ भी की गई। जैसे कि, गौठानों में ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाए जा रहे। इन सभी गतिविधियों में गांवों की महिला समूह और युवाओं को जोड़ा जा रहा है। गौठानों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को भी सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
आइए जानते हैं कि, किस तरह कार्य करती है… नरवा, गरवा, घुरुवा, बारी योजना..
नरवा कार्यक्रम के लाभ
राज्य के लगभग 29000 बरसाती नालों को चिन्हित कर इस कार्यक्रम के तहत उनका पुरनिर्माण और उन्हें ठीक करने का काम किया गया। इससे वर्षाजल का संरक्षण होने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों का भू-जलस्तर सुधरा। प्रदेश में नरवा बनाने का कार्य भी द्रुतगति से चल रहा है। इन नालों के जरिए ग्रामीणों को कृषि के लिए सिंचाई का पानी मिल रहा, मवेशियों को पीने के पानी की समस्या से निजात मिल रही है। साथ ही गर्मी के दिनों में भी ग्रामीणों को निस्तारी के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही वन्य प्राणियों के लिए भी गर्मी के दिनों में पेयजल की किल्लत नहीं होती और उनके लिए हर वक्त पानी मिल रहा है।
गरवा कार्यक्रम के लाभ
इस कार्यक्रम के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में गौठान बनाकर वहा पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं। प्रदेश में करीब 11,288 गौठान स्वीकृत हुए है, अब तक 9631 गौठान बन गए है। जिनमे से 4372 गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी है। गौठानों में पशुओं के लिए डे-केयर की व्यवस्था है। इसके तहत चारे और पानी का निःशुल्क प्रबंध किया गया है। इससे मवेशियों को चारे के लिये भी भटकना नही पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने किसानों को पैरा दान करने की अपील की इसका असर यह हुआ कि, किसान स्वमेव आगे आये और इन गौठानों में 4 लाख 513 हज़ार क्विंटल से अधिक का पैरा दान किया गया है।
घुरुवा कार्यक्रम के लाभ
इसके माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन कर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। फिलहाल इन गौठान में 20 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, साढ़े 5 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट तथा 19 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस का निर्माण किया गया है। घुरवा के लिये 92 हजार पक्के टांके स्वीकृत किये गए हैं इनमें, 81 हज़ार टांके बनकर तैयार है। वहीं 16 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट बिक्री सहकारी समीतियों के माध्यम से की जा चुकी है।
बारी कार्यक्रम के लाभ
छत्तीसगढ़ में बाड़ी को बारी कहा जाता है। ग्रामीणों के घरों से लगी भूमि में 3 लाख से अधिक व्यक्तिगत बाड़ीयों को विकसित किया गया है। साथ ही गौठनो में बनाई गई करीब 4429 सामुदायिक बाड़ियों के जरिये फल साग-सब्जियों के उत्पादन से कृषकों को आमदनी के साथ-साथ पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना के जरिये ग्रामों औऱ बसाहटों में बाड़ियों को विकसित कर लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस योजना के माध्यम से बड़े पैमाने पर हो रहा क्रय-विक्रय
गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट और अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। शुरू होने के साथ ही गोधन न्याय योजना काफी लोकप्रिय हुई है। अब इसकी चर्चा देश-दुनिया में होने लगी है और देश के अन्य राज्य इसे अपने यहां लागू करने जा रहे है। गांवों में गौठानों का और निर्माण होने से पशुधन को निःशुल्क चारा-पानी का प्रबंध सुनिश्चित हुआ है। इससे स्वच्छता के साथ ही पर्यावरण संरक्षण, दोहरी फसलों के रकबे में वृद्धि, कम्पोस्ट उत्पादन से खेती की लागत में कमी और जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां और अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन, की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से बिजली और प्राकृतिक पेंट बनाए जा रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में तीन सौ से अधिक ग्रामीण औद्योगिक पार्क की शुरुआत की है। जिसके तहत आजीविका गुड़ी गौठनो में बनाई जाएगी। ग्रामीण युवा उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तरह ये गौठान ग्रामीण अर्थवयवस्था को ज्यादा सशक्त बना कर रोजगार उपलब्ध कराने वाले केंद्र बनेंगे।