CG BREAKING : High Court strict on unrecognized private schools in Chhattisgarh, ban on new admissions!
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में संचालित गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा है कि बिना मान्यता वाले निजी स्कूल आगामी आदेश तक किसी भी छात्र का नया प्रवेश नहीं ले सकेंगे। यह आदेश निःशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अंतर्गत दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया गया है।
11 जुलाई 2025 को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
क्या कहा गया है शपथपत्र में
लोक शिक्षण विभाग के संचालक द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में बताया गया कि:
केवल कक्षा 1 से संचालित शालाओं को ही मान्यता आवश्यक है।
किंतु नर्सरी से केजी-2 तक की कक्षाएं चलाने वाले स्कूलों के लिए मान्यता जरूरी नहीं है।
वहीं जिन स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया है, उनके प्रस्ताव जिला स्तर पर लंबित हैं।
हस्तक्षेपकर्ता विकास तिवारी का विरोध
हस्तक्षेपकर्ता विकास तिवारी के अधिवक्ताओं ने शपथपत्र पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय को बताया कि 7 जनवरी 2013 से लागू विनियम के अनुसार नर्सरी से केजी-2 तक की कक्षाएं संचालित करने वाले स्कूलों को भी मान्यता लेना आवश्यक है।
हाईकोर्ट का आदेश
बिना मान्यता वाले स्कूलों में नए सत्र के लिए प्रवेश पर रोक।
जिन बच्चों का पहले ही प्रवेश हो चुका है, वह निरस्त नहीं किया जाएगा।
शिक्षा सचिव से मांगी गई व्यक्तिगत रिपोर्ट – क्यों गैर मान्यता प्राप्त स्कूल अभी भी संचालित हो रहे हैं?
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह आदेश राज्यभर के सभी जिलों पर लागू होगा।
महंगी किताबों का भी मुद्दा शामिल
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा यह भी कहा गया कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन महंगी निजी प्रकाशनों की किताबें खरीदने का दबाव बना रहे हैं, जिससे अभिभावकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोर्ट ने इस बिंदु को भी रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को तय की है।
