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तिरछी नजर : ताम्रध्वज का बाबा को फोन

साल के जाते-जाते बाबा ने यह कहकर हलचल मचा दी कि उनका चुनाव लडऩे का मन नहीं है। उस पर ताम्रध्वज साहू की यह प्रतिक्रिया कि किसी एक के चुनाव नहीं लडऩे से कोई फर्क पड़ेगा, चौंकाने वाली थी। बताते हैं कि ताम्रध्वज को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने बाबा को फोन कर अपनी टिप्पणी को लेकर सफाई दी। खेद भी जताया। बाबा ने विनम्र भाव से उनकी बातों को मान लिया।
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आखिरी ओव्हर में तेज बैटिंग
वन विभाग के दो सीनियर अफसर 31 तारीख को रिटायर हो गए। इन दोनों में एक ने तो जाते-जाते इतनी उगाही की कि इसकी गूंज चारों तरफ होने लगी है। अफसर का इसी महीने जन्मदिन था लेकिन वो परिवार के बीच रहने के बजाए दौरे पर निकल गए। उन्होंने आखिरी के दिनों में अभ्यारण्यों में जाकर समीक्षा बैठक की और गिफ्ट बटोरे।
पिछली सरकार में पर्यावरण से जुड़े मलाईदार संस्थान में पदस्थापना के दौरान कुछ इसी अंदाज में बल्लेबाजी की थी। इस पर तत्कालीन मंत्री ने भरी बैठक में फटकार लगाई थी। उस समय मंत्रीजी को यह कर संतुष्ट करने की कोशिश की थी कि उनके ही निर्देशों का पालन किया गया है। लेकिन मंत्रीजी का मानना था कि टारगेट से अधिक वसूली कर रहे हैं। खैर, इस बार तो मंत्रीजी प्रदेश से बाहर थे। इसका भरपूर फायदा उठाया।
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जमीन का बड़ा सौदा
रायपुर जमीन के दो बड़े सौदे से हलचल मची हुई है। एक सौदा तो धाम का है, जिसे ताकतवर लोगों ने खरीद लिया। दूसरे सौदे को लेकर विरोध के स्वर हैं। विरोधियों ने तो बकायदा प्रेस कांफे्रस लेने के लिए समय भी तय कर लिया था लेकिन बाद में स्थगित भी करना पड़ा। चुनावी साल में ये सौदे को लेकर शहर की राजनीति गरमा सकती है।
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मंत्री के तेवर
राजीव भवन में पिछले दिनों एक ताकतवर मंत्री को नमस्कार करना पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी तो भारी पड़ गया। मंत्रीजी ने पदाधिकारी को देखते ही कह दिया कि अब बहुत हो चुका है। चुनाव आ गए हैं। किसी की कोई परवाह नहीं है। मंत्री की बातें तो ज्यादातर लोगों को समझ में नहीं आई लेकिन उन्हें असंतुष्ट माना जाता है।

भेंट मुलाकात – 1
बेमेतरा विधानसभा क्षेत्र के देवरबीजा में आयोजित भेंट मुलाकात के दौरान आरक्षण को लेकर सवाल उठाने वाले किशन अग्रवाल इन दिनों सोशल मीडिया में छाये हुए हैं। सोशल मीडिया ने आधा काटकर जारी वीडियो के पीछे विरोधी पार्टियों का हाथ बताया जा रहा है। भेंट मुलाकात के हर कार्यक्रम में भाजपा भी अपनी पूरी शक्ति लगा रही है। तिल्दा नेवरा में रहने वाला किशन अग्रवाल ने अपने आपको थान खम्हरिया का निवासी बताया था। अब इसकी वास्तविकता की जांच चल रही है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आरक्षण को लेकर सरकार के रूख को सबके सामने रखा। लोग इससे संतुष्ट भी नजर आए और तालियां बजाई, लेकिन आधे-अधूरे वीडियो सेे किशन अग्रवाल को सुर्खियों में आ गए।
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भेंट मुलाकात – 2
सरगुजा संभाग से शुरू हुए भेंट मुलाकात कार्यक्रम को सफल बनाने मुख्यमंत्री और उनकी टीम लगातार मंथन कर रही है। योजनाओं और राजनीति गतिविधियों के इस कार्यक्रम को लेकर एक नया गठजोड़ भी तैयार हो गया है, जिसकी चिंता शुभचिंतकों के बीच होने लगी है। अंबिकापुर संभाग के बाद जगदलपुर संभाग के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने एक नया पैटर्न तैयार कर लिया है। अचानक छापेमारी और जांच पड़ताल से अधिकारियों में भय बन गया था। कई लोग निलंबित और जांच के घेरे में आ रहे थे। इससे डरे अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों से संरक्षण मांगा। वर्षो से जमे अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों से मिलकर कार्यक्रम का रूपरेखा ही बदल दिया है। कई बातें खुलकर सामने नहीं आने की शिकायत आने लगी है।
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अरण्य भवन में खींचतान
वन विभाग मुख्यालय अरण्य भवन में एक बार फिर गुटबाजी उभरकर सामने आ गई है। पिछले सप्ताह एक अफसर के बिदाई समारोह में एक बड़े अफसर ने खुले मंच पर कह दिया-मेरे पद में आने के बाद कुछ लोगों को असुविधा हो रही है। इस बयान पर कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। नये वन बलप्रमुख बनने कई अधिकारी जोरआजमाईश में जुटें हैं। राज्य सरकार की चलती योजनाओं को गति देने और नई योजनाएं बनाने का काम धीमा हो गया है। कुछ अफसर रिटायरमेंट के बाद रेरा सहित कई पदों के लिए लॉबिंग में लग गए हैं। वन मंत्री की भी रुचि इस समय अफसरों की समझ से परे है।

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