भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ में विधानसभा परिषद का गठन करना चाहती है। इस पर गंभीरता से मंथन भी हो रहा है। एक अनौपचारिक बैठक भी हो चुकी है। सरकार के एक मंत्री को कानूनी सलाह लेने की जिम्मेदारी भी दी गई है। सब कुछ अनुकूल रहा तो प्रदेश में परिषद के गठन के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाया जा सकता है। वर्ष-2003 के कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में विधान परिषद के गठन का जिक्र था। हालांकि यह सब आसान नहीं है, क्योंकि केन्द्र सरकार ही इस पर निर्णय लेगी। लेकिन कांग्रेस विधान परिषद के गठन की घोषणा कर आरक्षित क्षेत्र के उन नेताओं को खुश कर सकती है, जो कि प्रभावशाली होने के बावजूद सदन का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। माना जा रहा है कि परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित होने से कांग्रेस को चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है ।
राजीव शुक्ला की दावेदारी
प्रदेश में राज्यसभा की दो रिक्त सीट के लिए चुनाव की तैयारी चल रही है। दोनों सीट कांग्रेस की झोली में जाना तय है। कम से कम एक सीट पर प्रदेश के बाहर के किसी नेता को मौका मिल सकता है। दावेदार तो कई हैं, लेकिन सबसे मजबूत नाम राजीव शुक्ला का है। राजीव शुक्ला क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पदाधिकारी हैं। आईपीएल कमिश्नर हैं। पहले भी राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं और सबसे बड़ी योग्यता उनका प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी होना है। दाऊजी के दिल्ली प्रवास के दौरान राजीव शुक्ला उनसे मिल भी लेते हैं। ऐसे में यदि दिल्ली राजीव शुक्ला का नाम सुझाती है, तो शायद दाऊजी को भी कोई परहेज न हो। वैसे तो कई लोग प्रियंका गांधी का नाम भी चला रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ से वो राज्यसभा सदस्य बनना चाहेंगी, इसकी संभावना कम ही दिख रही है।
कांग्रेसियों की बाबा के बंगले में दस्तक
कांग्रेस के अलग-अलग प्रकोष्ठों की प्रदेश स्तरीय बैठक होती है, तो बैठक के बाद कई पदाधिकारी बाबा के बंगले पहुंच जाते हैं। सबकी एक ही मांग होती है कि उनके इलाके में पंचायत मद से मूलभूत कार्यों के लिए कोई राशि स्वीकृत कर दी जाए। ताकि उनका खर्चा चलता रहे। पिछले साल पंचायत के मूलभूत कार्यों के लिए 2 सौ करोड़ रखे गए थे लेकिन वित्त विभाग से राशि जारी नहीं हो पाई। सरकार के पहले साल तो राशि जारी हुई थी और अपने-अपने इलाकों में कांग्रेस नेताओं ने सीसी रोड और अन्य काम कराकर माल भी बटोरा था। लेकिन पिछले दो साल से कोरोना की वजह से सरकार को वित्तीय संकट से जुझना पड़ रहा है। इसके कारण राशि जारी नहीं हो पाई। इस साल वित्त विभाग राशि जारी करेगा या नहीं, इसको लेकर कई तरह की चर्चा है। फिर भी कांग्रेस के नेता उम्मीद से हैं।
धरम कौशिक का गुस्सा
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक रंगीन तबियत के नेता माने जाते हैं। वो एक-दो बार लफड़े में पड़ भी चुके हैं। एक समाजसेविका ने उन पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। पिछले दिनों विधानसभा में बिलासपुर एयरपोर्ट के विस्तार पर चर्चा चल रही थी, तो कौशिक ने सरकार पर आरोप लगा दिए। इसका सीएम भूपेश बघेल ने अलग ही अंदाज में जवाब दिया और कहा कि हम चाहते हैं कि बिलासपुर से महानगरों के लिए सीधी विमानसेवा शुरू हो। लेकिन नेताजी (कौशिक) बैंकाक-पटाया के लिए विमानसेवा शुरू करने के पक्षधर हैं। जो कि वो नहीं होने देंगे। इस पर कौशिक तो काफी गुस्सा हुए लेकिन उनके दल के बाकी सदस्यों ने खूब मजे लिए।
दिनेश शर्मा 1 को संभालेंगे पदभार
देवेन्द्र वर्मा के विवादित कार्यकाल के बाद साफ सुथरी छवि के चलते विधानसभा को नई ऊंचाई देने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े इसी महीने 31 मार्च को रिटायर हो रहे हैं। रिटायरमेंट के पहले ही शासकीय आवास को छोड़कर अपने आवास में चले गये। अधूरे कामों की प्लानिंग तैयार कर नये सचिव दिनेश शर्मा को सौंप दी है। गंगराड़े को सरकार में कोई और जिम्मेदारी मिल सकती है। लंबे समय से चरणदास महंत के साथ जुड़े रहने वाले छत्तीसगढ़ मूल के दिनेश शर्मा गंभीर और शांत अफसर माने जाते हैं। उनके पदभार ग्रहण की पूरी तैयारी हो चुकी है
आम आदमी पार्टी से भाजपा में बेचैनी
छत्तीसगढ़ में आप पार्टी के दस्तक से भाजपा के नेता ज्यादा डरे हुए हैं। आप से राज्यसभा के उम्मीदवार छत्तीसगढ़ मूल के डॉ. संदीप पाठक का पूरा परिवार भाजपाई हैं। छत्तीसगढ़ में दिल्ली और पंजाब की तरह आप पार्टी शहरों में पैठ जमाने की कोशिश तेज कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी के प्रमुख नेताओं की दिल्ली में एक मुलाकात अरविंद केजरीवाल से हो चुकी है। केजरीवाल से मुलाकात के बाद अमित जोगी पार्टी के प्रमुख नेताओं से राय-मशविरा कर रहे हैं। लोरमी के विधायक धर्मजीत सिंह के विधानसभा क्षेत्र से राज्यसभा सदस्य बनने के बाद उनकी परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है। चर्चा यह भी है कि धर्मजीत और प्रमोद शर्मा आप का दामन थाम सकते हैं। मगर डॉ. संदीप पाठक के राज्यसभा सदस्य बनने से छत्तीसगढ़ की राजनीति पर असर पडऩा तय है।