भाजपा की कारोबारी नेता अभी से टिकट के जुगाड़ में लग गए हैं। बताते हैं कि पार्टी के नए प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, जिन्हें काफी टफ माना जाता है, उन्हें भी साधने की कोशिश हो रही है।
चर्चा है कि पार्टी के तीन पूर्व विधायक संतोष बाफना, राजेश मूणत और लाभचंद बाफना ने माथुर के करीबी पूर्व सांसद पुष्प जैन के मार्फत कोशिश में लगे हैं। ये अलग बात है कि तीनों बुरी तरह चुनाव हारे थे। राजस्थान के रास्ते टिकट पाने की कोशिश कितनी कामयाब होती है, यह देखने वाली बात होगी।
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विश्नोई के राजदार
ईडी की कार्रवाई ने सरकार को झकझोर कर रख दिया है। कई अफसर-कर्मचारी तो बिना दबाव के ईडी को जानकारी मुहैया करा रहे हैं। पिछले दिनों ईडी ने चिप्स दफ्तर में दबिश दी और अफसरों से रातभर पूछताछ की। बताते हंै कि चिप्स सीईओ की गिरफ्तारी के बाद एक-दो तो फंसने के डर से पहले ही जानकारी देने लगे।
जांच से जुड़े कुछ लोग उस वक्त चौंक गए, जब चिप्स के एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी बिना उच्चाधिकारियों को बताए ईडी अफसरों के पास पहुंचकर कागज दे आया। यह कर्मचारी विश्नोई का काफी खासमखास रहा है। और राजदार भी माना जाता है। इससे विश्नोई की मुश्किलें और बढ़ सकती है।
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अग्रबंधुओं का दबदबा
भाजपा सरकार में ताकतवर रहे दो कारोबारी अग्रबंधुओं की भूपेश सरकार में भी खूब चल रही है। इनमें से एक तो चिकित्सा व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। दोनों भाईयों की अफसर बिरादरी में अच्छी पैठ है। चर्चा है कि आईटी से जुड़े एक अफसर ने छोटे अग्र भाई के पास काफी कुछ जमा किया था। बाद में अफसर की कोरोना से मौत हो गई। अब परिवार वालों को अमानत वापस हुई अथवा नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन अग्र बंधुओं की संपत्ति कोरोनाकाल में खूब बढ़ी है। जो लोग दोनों भाईयों के व्यवहार से परिचित हैं, वो दावा कर रहे हैं कि अमानत शायद ही वापस हुई हो। इसके पीछे तर्क यह है कि एक अन्य आईटी अफसर ने भी काफी कुछ जमा कराया था, लेकिन उसकी अमानत ले देकर तत्कालीन डीजीपी के हस्तक्षेप के बाद ही वापस हो पाई। केंद्र में भी अग्रबंधुओं की अच्छी पकड़ है। ऐेसे में ईडी-आईटी से डरे निवेशक का रूझान अग्रबंधुओं की तरफ देखा जा रहा है। कुल मिलाकर अग्रबंधुओं के पांचों ऊंगली घी और सिर कढ़ाई में है।
सूखी दीवाली
रंगों से होने वाले नुकसान की आशंका में अभी तक सूखा होली की अपील की जाती थी। पहली बार ईडी के छापे के चक्कर में बहुत सारे लोगों की दीवाली सूखी मन रही है । ईडी की छापे के बाद निर्माण विभाग के अफसर अधिक परेशान है। वाट्सअप काल की रिपोर्ट भी जांच एजेंसियों को मिल जाती है इसलिए वाट्सअप काल भी कम कर दिये हैं। साफ सुथरे संदेश ही भेजे जा रहे हैं। ऐन दिवाली के समय हंगामा मचने से सारे दीवाली मिलन और उत्सव के कार्यक्रम स्थगित कर दिये गये हैं। चंदे के लिए विशेष तौर पर दीवाली का इंतजार करने वाले नेता भी इन दिनों परेशान हैं। अफसरों ने ऐसे नेताओं को हाल की घटनाओं का विश्लेषण कर विनम्रतापूर्ण रवाना कर दिया। बड़े खेल के तरीके भी बदल गए हैं। अफसर अब फाईल में दस्तखत करने के पहले जांच पड़ताल करने लगे हैं।
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बयान से बचते मंत्री
केन्द्र सरकार की एजेंसियां लगातार राज्य सरकार के करीबी अधिकारियों, कर्मचारियों, ठेकेदारों पर निगाह रखी है। कई प्रकार की पूछताछ कर रही है। कई महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र कर रही है। आगामी दिनों और कार्यवाही होने की आशंका मंडरा रही है। ऐसे में छापे के खिलाफ एक अकेले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मोर्चा सम्भाले हुए है। छापे के बाद भाजपा के प्रवक्ता और नेता लगातार मीडिया में आकर कागज उपलब्ध करा रहे हैं। बडे-बड़े बयान दे रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले से दूरी बनाकर पल्ला झाड़ लिया है। राज्य सरकार के मंत्री और मलाईदार पदों में बैठे नेता टीवी चैनल व अखबारों में इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के मीडिया विभाग के एक दो प्रवक्ता ही ईडी के खिलाफ हर फोरम पर आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस मामले में कई तरह की चर्चा है। कुछ मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ नाराजगी शीर्ष स्तर पर भी जताई गई है।
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