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तिरछी नजर : मेयर का लहजा बता रहा है दौलत नई-नई है

 

मेयर का लहजा बता रहा है दौलत नई-नई है

कहते हैं कि कुर्सी का नशा अच्छे-अच्छों की बुद्धि भ्रष्ट कर देता है। कुछ ऐसी ही स्थिति राजधानी के मेयर के साथ दिखाई दे रही है। ताज्जुब इस बात है कि जिसने एजाज ढेबर को मेयर की कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण निभाई है, उनके साथ मेयर ऐसा बर्ताव करेंगे, ऐसी किसी को उम्मीद नहीं थी। हम बात कर रहे हैं कि रायपुर के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मी की, जिन्होंने सीनियर और ब्राम्हण पार्षदों की दावेदारी को नजरअंदाज करते हुए एजाज ढेबर के लिए मेयर की कुर्सी का मार्ग प्रशस्त किया था, लेकिन लगता है कि मेयर की कुर्सी पर बैठने के बाद वे तमाम बातों को भूल गए हैं। इतना ही नहीं सत्ता का मद इस कदर चढ़ गया है कि वे सामान्य शिष्टाचार भी अब मायने नहीं रखता। दरअसल, मेयर को सूबे के मुखिया का कृपापात्र माना जाता है, इसलिए उनके इस रवैए पर पार्षद और कांग्रेसी खुलकर बोलने से परहेज करते हैं, लेकिन उनकी हाल ही एक कार्यक्रम के दौरान सत्यनारायण शर्मा के प्रति व्यवहार से चर्चा शुरू हो गई है। वाकया दिशा की एक बैठक का है। जिसमें हिस्सा लेने सीनियर विधायक सत्यनारायण शर्मा वहां पहुंचे, तो पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, कुलदीप जुनेजा, विकास उपाध्याय और सांसद सुनील सोनी सहित अन्य नेता उनके सम्मान में खड़े हो गए, और उनका अभिवादन किया। मगर ढेबर ने खड़े होना, तो दूर उन्हें नमस्कार करने जैसा सामान्य शिष्टाचार का पालन तक नहीं किया। 80 बरस के सत्यनारायण शर्मा प्रदेश के सबसे सीनियर विधायकों में से एक हैं, और कांग्रेस की गुटीय राजनीति में विरोधी होने के बावजूद सीएम भूपेश बघेल उनका पूरा सम्मान करते हैं, और सार्वजनिक तौर पर पांव छूने से परहेज नहीं करते। शहर के नव धनाढ्य परिवार से आए ढेबर का सत्यनारायण शर्मा को अनदेखा करना बैठक में मौजूद नेताओं के बीच चर्चा का विषय है और किसी शायर के लिखे- जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना। तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है को याद कर रहे हैं।

आईपीएस ने पटक दिया मोबाइल

 

एडीजी जीपी सिंह के यहां एसीबी की छापेमारी से विशेषकर प्रशासनिक और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। पहली बार किसी आईपीएस के यहां एसीबी ने सीधी कार्रवाई की है। बताते हैं कि सुबह-सुबह एसीबी की टीम को अपने बंगले के बाहर खड़ा देखकर खुद जीपी सिंह भौंचक रह गए। करीब आधा घंटा इंतजार करवाने के बाद दरवाजा खोला गया। एसीबी की टीम के कई लोग तो उनके साथ काम भी कर चुके हैं। मगर उन्होंने अपने सीनियर अफसर की परवाह किए बिना अपनी ड्यूटी को बाखुबी निभाया। एक मौका तो ऐसा भी आया, जब जीपी सिंह ने म्युच्युअल फंड के दस्तावेज और डायरी के पन्ने तक को फाड़ दिया। मोबाइल को पटक दिया। लेकिन सीनियर अफसर के इस तेवर से बेखौफ एसीबी अमले ने शांति से कागज के टुकड़ों को गम से जोड़ा। कुल मिलाकर डायरी के पन्ने सार्वजनिक हुए, तो प्रदेश की राजनीति में भूचाल आना तय है। यह भी दिलचस्प होगा कि एसीबी क्या छिपाती है, और क्या बताती है।

एक और सरकारी नियुक्ति

 

कई वर्षो तक जमीनी संघर्ष करने वाले कांग्रेस नेताओं का नियुक्तियों का तो पता नहीं है अलबत्ता पुलिस की समस्याओं को हल करने वाली पुलिस प्राधिकार कमेटी में एक नाम लगभग तय हो गया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शरद गुप्ता का नाम सबसे उपर है इनकी नियुक्ति पर भाजपा ने आपत्ति भी जताई है। इस पद के रेस में शामिल रहे रिटायर्ड जज को निराशा भी हाथ लगने वाली है

 

मंत्री का पीए घेरे में

 

प्रदेश सरकार के एक मंत्री के पीए से घंटों पूछताछ करने की खबर से विभाग में दहशत का माहौल है। विभाग के शीर्ष अधिकारी मोबाइल पर बात व मैसेज करने से कतराने लगे हैं। बातचीत लैंडलाइन फोन के जरिए हो रही है। ऐसा लगता है कि एक वर्ष पहले केन्द्र सरकार से मिले भारी फंड से चल रही योजना के क्रियान्वयन को लेकर भारी हंगामा मचने के बाद इसकी आग अभी ठंडी नहीं पड़ी है। चर्चा है कि भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी ने एक मंत्री के पीए को बुलाकर घंटों पूछताछ की। इस पीए के मोबाइल वॉट्सएप में एक पार्टी के साथ चली बातचीत का लिंक ओपन होने के बाद रहस्य खुल गया है? मामले में अजीब स्थिति यह उत्पन्न हो गई है कि पूछताछ के बाद पीए डिप्ररेशन में चला गया है। अस्पताल में भर्ती है। चर्चित डॉक्टर के अस्पताल में ईलाज चल रहा है। अब यह मामला किस रूप में कब रंग लाएगा इसका इंतजार करना होगा।

विस्फोट की धमक दूर तक जाएगी

छत्तीसगढ़ में आईपीएस जीपी सिंह पर एसीबी के छापे पर प्रदेश के सियासी, प्रशासनिक गलियारों से लेकर हर वर्ग की दिलचस्पी इससे निकलने वाली जानकारी पर टिकी हुई है। अभी तक इस कार्रवाई में 10 करोड़ की संपत्ति, 1 करोड़ का सोना,मनी लॉड्रिंग और खदानों में निवेश की जानकारी सामने आई है। हालांकि किसी भी छापे में इस तरह के प्रमाण मिलना स्वाभाविक माना जाता है, लेकिन इस छापे में लोगों की दिलचस्पी इन बातों से परे कुछ और है। क्योंकि यह छापा किसी व्यापारी या उद्योगपति के ठिकानों पर तो पड़ा नहीं है, बल्कि सूबे के एक ताकतवर माने जाने वाले आईपीएस के ठिकानों पर कार्रवाई हुई है। ऐसे में आम लोगों की धारणा है कि आईपीएस पर यह कार्रवाई किसी विशेष प्रयोजन के तहत की गई है। अनुपातहीन संपत्ति के कारण कार्रवाई होती तो अब तक कई और अफसर नप गए होते। एंटी करप्शन ब्यूरो में ही 100 के आसपास आईएएस और आईपीएस सहित अन्य अफसरों के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति के मामले दर्ज हैं। विधानसभा के तकरीबन हर सत्र में इस तरह के सवाल उठते रहते हैं और सरकार की तरफ से लिखित जवाब आता है। ऐसे में आम लोगों की कुछ और जानकारी सामने की अपेक्षा वाजिब ही लगती है। दरअसल, लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई उस सियासी हलचल को कुचलने की कोशिश है, जिसे पिछले कुछ दिनों से लगातार हवा दी जा रही है और वो भी लगातार सुर्खियों में है। लोगों के इस अनुमान में कितना दम है, यह तो छापे की पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन आम लोगों का अनुमान सही साबित हुआ तो तय है कि जिस विस्फोट को दबाने के लिए छापे के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया है, उसकी धमक दूर तक जरूर जाएगी।

 

समय ने दिखाया कुचक्र

 

छत्तीसगढ़ में जीपी सिंह पर एसीबी कार्रवाई की समीक्षा में लोग इसे जैसी करनी वैसी भरनी से जोड़कर देख रहे हैं। जीपी सिंह अपने ज्यादातर कार्यकाल में विवादों से घिरे रहे हैं। एसपी राहुल शर्मा की आत्महत्या का हो या फिर चर्चित आईपीएस अफसर को पूछताछ के लिए अपने कार्यालय बुलाने का मामला हो। यह बात तो छत्तीसगढ़ के अधिकांश लोग जानते हैं कि जीपी सिंह करीब सालभर पहले तक एसीबी के चीफ थे और आज उसी एसीबी ने उन पर छापे की कार्रवाई की है। ब्यूरो के मुखिया रहते हुए उन्होंने भी राज्य के चर्चित आईपीएस और ब्यूरो के पूर्व चीफ को पूछताछ के लिए आरोपित की तरह दफ्तर तलब किया था। ब्यूरो में उस वक्त के प्रत्यक्षदर्शियों का तो यहां तक कहना है कि चर्चित अफसर ने उनसे तेज आवाज और आपत्तिजनक भाषा में बात की थी, आज उनके साथ भी वही हो रहा है या हो रहा होगा। वे बस्तर में पदस्थ रहने के दौरान भी अपने वरिष्ठ अफसर के सरकारी आवास में दबिश देने के कारण भी सुर्खियों में आए थे। कुल मिलाकर इसे समय का चक्र ही कहें, जो घूमता तो हमेशा रहता है, लेकिन जब अपने ऊपर आता है, तभी उसका अंदाजा होता है।

सरगुजा में नया भव्य कांग्रेस भवन

ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का राजनीतिक हल्ला खत्म होने के बाद अब सरगुजा संभाग में कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की व्यूह रचना तैयार होने लगी है। विधायक सरगुजा पैलेस से कांग्रेस संगठन को बाहर निकालकर नये वर्ग के लोगों की नियुक्ति की मांग कर रहे है। दरअसल,कल तक सरगुजा के सभी विधायक बाबा के साथ थे अब बदली राजनीतिक परिस्थितियों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक मानने लगे है। विधायकों ने तो मौके की नजाकत देखकर पाला बदल दिया है, लेकिन संगठन से जुड़े सक्रिय वरिष्ठ नेता अभी भी हूजूर के साथ पूरे निष्ठा से जुड़े है। पाला बदलने वाले नेता क्षेत्र में फैले हुजूर के कनखजूरों से निजात पाने की शांतिपूर्ण कवायद में लगे हैं। अभी तक सरगुजा पैलेस में कांग्रेस की बैठक होती थी। तेजी से गुट बदलने वाले कांग्रेसी नेताओं की टीएस सिंहदेव से लगभग बातचीत तक बंद हो गयी है। महल की राजनीतिक से बाहर निकालने में लगे शिल्पकार अमरजीत सिंह भगत व डा.शिव डहरिया कांग्रेस भवन का निर्माण काम जोरों से करा रहें है।

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