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तिरछी नजर 👀: दो के झगड़े में तीसरे का फायदा

राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में महामहिम ने इशारों-इशारों में कहा कि दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा होने की संभावना प्रबल रहती है, लेकिन यह सबकुछ किस्मत में लिखी होती है। तब मंच पर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत बैठे थे और सभी लोगों ने उनकी तरफ देखते हुये जोर से ठहका लगा दिया। सत्ता संघर्ष के दौरान महंत की भूमिका कैसी रही इसका अंदर खाने में जबरदस्त विश्लेषण हो रही है।

नियम-कानून में उलझा खनिज

किसी भी सरकार के बेहतर संचालन में माईनिंग विभाग की बड़ी भूमिका होती है। रमन राजा में माइनिंग के कई विशेषज्ञ थे।कांग्रेस के ढ़ाई साल में पांच आईएएस अफसर बदल गये। अम्बलकर दम्पत्ति सबसे ज्यादा समय रहे। इसके बाद समीर विश्नोई, देव सेनापति, अजीत बसंत और अब मौर्य का समय है। मुख्यमंत्री माईंनिग के अच्छे जानकार है इस क्षेत्र में तेजी से काम करना चाहते है लेकिन विभाग में वर्षो से बैठे मठाधीश नियम कानून का हवाला देकर सबको डराने की आड़ में गति नहीं आने दे रहे है। बड़े बड़े उद्योगपतियों के चप्पल घिस गये है।

सियासी गोताखोरी में भी भूपेश को माहरत

बरसात में नदी नालों के तेज बहाव बड़े-बड़े चट्टन व पेड़ को उखाड़ कर ले जाती है। इससे बचकर निकलने की हूनर गोताखोरों में ही रहती है। पानी के बहाव के साथ खेलते हुए किनारे तक पहुंचने के लिए साहस व धार को भांपने की कला होनी चाहिए। सीएम भूपेश ने बचपन में अपने गांव में चार किलोमीटर दूर तक ट्यूब के सहारे दोस्तों के साथ यह काम किया है। कांग्रेस के पिछले पांच साल के राजनीतिक उठापठक को देखें तो यह लगाता है भूपेश बघेल गोताखोरों की तरह तेज बहाव के बीच सुरक्षित निकलने के आदी है। राजनीतिक तेज उफान के बीच उनकी चातुरर्य भरी रणनीति पहले जोगी विवाद और अब ढाई-ढाई साल फार्मूला में तो उनकी नाव सुरक्षित निकल गई।

गौरी की विदाई की चर्चा

चर्चा है कि गौरीशंकर अग्रवाल को प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है। इन चर्चाओं को उस वक्त बल मिला जब उन्हें चिंतन शिविर में नहीं बुलाया गया। यही नहीं, बीते शुक्रवार को पार्टी की बड़ी बैठक में उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली। गौरीशंकर को प्रथम पंक्ति में सरला कोसरिया के बगल में बैठना पड़ा। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर एक बार गौरीशंकर को मंच पर जगह देने अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। बताते हैं कि गौरीशंकर की जगह भीमसेन अग्रवाल को कोषाध्यक्ष बनाया जा सकता है जो कि पार्टी के प्रति निष्ठावान, और ईमानदार समझे जाते हैं। गौरीशंकर के खिलाफ पार्टी के नेताओं ने हाईकमान से शिकायत की थी। इनमें से एक शिकायत तो काफी गंभीर बताई जा रही है। कुछ लोगों का दावा है कि यह बदलाव जल्द हो सकता है।

माननीयों की चिंता

प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग चुका है। लेकिन सरकार के एक मंत्री निश्चिंत नहीं हो पा रहे हैं। कुछ हो या न हो, मंत्रीजी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पिछले दिनों मंत्रीजी, विधायकों के साथ दिल्ली गए थे। तब लौटते समय कुछ विधायकों ने हंसी-मजाक के बीच उन्हें छेड़ा कि आपने झुककर सलाम करने का अभ्यास शुरू किया है, या नहीं। मंत्रीजी की अपने जिले में एक तरफा चलती रही है। मगर बदलते समीकरणों की वजह से आने वाले समय में शायद ऐसा न हो। इन्हीं सब वजहों से मंत्रीजी परेशान हैं।

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