रायपुर। पिछले दिनों राज्य के दो मंत्री रविन्द्र चौबे और मोहम्मद अकबर राज्यपाल अनुसुईया उइके से मिलने पहुंचे। मंत्रियों ने लंबित विधेयकों का दुखड़ा रोया तो राज्यपाल ने भी राज्य के कुछ अधिकारियों के कामकाज के तरीके पर नाराजगी जाहिर करते हुए कई किस्से सुनाये। संवैधानिक तौर पर सरकार राज्यपाल के नाम पर चलती है और राज्य के जिम्मेदार अधिकारी राजभवन के ही काम में लेट लतीफी कर रहे है। महामहिम ने एक किस्सा बताया कि जनहित के मामले में विलंब पर राज्य के प्रशासनिक मुखिया को बुलाया और शीघ्र मामले को निपटाने का अनुरोध किया। प्रशासनिक मुखिया ने वित्त विभाग में फाइल क्लियर होने में दिक्कत की जानकारी देकर लौट आये। जबकि यह मामला व्यक्तिगत रूचि लेने से निपट सकता था। इस खुलासे के बाद मंत्रियों को भी लगने लगा नौकरशाही में दूरदर्शिता का अभाव व अड़ंगेबाजी से मामला बिगड़ रहा है। भला हो सचिव अमृत खलको का राजभवन और सरकार के बीच सेतु की भूमिका निभाकर कुछ काम करा दे रहे है।
भाजपा हाईकमान असंतुष्ट
छत्तीसगढ़ भाजपा से हाईकमान संतुष्ट नहीं है। प्रदेश भाजपा के चर्चित प्रथम पंक्ति के नेताओं की सक्रियता और जनता के बीच स्वीकार्यता को लेकर हाईकमान उहापोह में है। बताया जाता है कि भाजपा के केन्द्रीय नेता छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंकने की रणनीति बना रहे है। इसके लिए कई माध्यमों से लगातार फिडबैक भी ले रहे है। केन्द्रीय एजेंसी की सक्रियता के चलते बड़े नौकरशाह व उद्योगपति सतर्क हो गये हैं। कई बहुचर्चित सिस्टम में अफरा-तफरी है, फिर भी भाजपा का प्रभाव शहर से आगे नहीं बढ़ रहा है। हाल में कराये गये एक सर्वे में दोनों पार्टियों में काफी अंतर आया है। कांग्रेस भारी दिख रही है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूरे मामले की रिपोर्ट ले रहे है। भाजपा की जगह संघ पर ज्यादा भरोसा जताते हुए अलग रणनीति बनाई जा रही है। यह रणनीति कितनी सफल होती है यह आगामी दिनों पता चलेगा।
शतरंज के चाल पर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का असर
रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शतरंज खिलाड़ी पहुंचे थे। इन खिलाडिय़ों के दांवपेज देखकर लोग दांतों तले उगली दबा लिये। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चल रहे तनाव का असर शतरंज के खिलाडिय़ों पर भी पड़ा। अरब देशों व एशिया के कई देशों में तनाव चल रहे हैं। इन देशों से आये खिलाडिय़ों ने खेल में मैत्रीभाव कम दिखाया। एक दूसरे के दुश्मन की तरह रहे साथ रहने से इंकार कर दिया। खेल के आयोजकों को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ा। अपना शेड्यूल व सारी व्यवस्थाएं अंतर्राष्ट्रीय शतरंज के दौरान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को देखते हुए फैसला लेना पड़ा। याने खेल भावना नहीं देश भावना ज्यादा दिखती रही। छत्तीसगढिय़ा चीला फरा दबाकर खाये।
वन में किसकी चली
वन विभाग में हुए बड़े फेरबदल के अंतिम दिन तक कई प्रकार के कयास लगते रहे। वनमंत्री मो. अकबर ने दो सुझाव दिये इसे फिलहाल नामंजूर कर संजय शुक्ला को आखिरकर वन विभाग का प्रमुख के साथ-साथ वन विकास निगम का एमडी का आदेश जारी कर दिया गया। वनमंत्री के करीबी लोगों की जिस तरीके से एक तरफा चली है उससे कई लोग खफा है। सेवानिवृत्त वन विभाग प्रमुख राकेश चतुर्वेदी को कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिये जाने का हल्ला कई महीने से चल रहा था, लेकिन आदेश निकला नहीं। बताया जाता है कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिये जाने को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है।संजय की नजर महाभारत के संजय की तरह है वन विभाग और प्रशासन शासन में क्या हो रहा है सब चीज देख ले रहे हैं और भविष्य को भी देख रहे हैं.