खैरागढ़ चुनाव में पूर्व सांसद अभिषेक सिंह के चुनाव प्रचार के तौर तरीकों की खूब चर्चा हो रही है । अभिषेक रायपुर स्थित मौलश्री विहार स्थित अपने बंगले 11 बजे के बाद निकलते हैं और जिस गाँव में प्रचार के लिए जाते हैं वहां पहले से नर्तक दल मौजूद होता है जो कि नाच गाकर भीड़ जुटाकर रखता है । इसके बाद लाव लश्कर के साथ अभिषेक पहुंचते है और सभा को संबोधित कर अगले कार्यक्रम में शरीक होने निकल जाते हैं। दो-तीन सभा निपटाने के बाद रायपुर लौट आते हैं ।
बताते हैं कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक समेत कई बड़े नेता खैरागढ़ में डटे हुए हैं लेकिन भीड़ जुटाने के लिए किसी को सांस्कृतिक दल की सेवाएं नहीं मिली है । चूंकि फंड मैनेजमेंट खुद डाक्टर साहब देख रहे हैं, तो बेटे को सुविधा मिलेगी ही । ये अलग बात है कि अभिषेक के तौर तरीकों से पार्टी के सीनियर नेता नाखुश बताए जाते हैं।
बुरे फंसे
केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल यहां आए, तो उन्होंने अनौपचारिक चर्चा में सीएम भूपेश बघेल के साथ अपने बेहतर रिश्तों का जिक्र किया । खैरागढ़ में लोधी समाज की बाहुल्यता को देखकर पटेल को प्रचार के लिए यहां बुलाया गया था लेकिन आने वाले समय में 28 सौ रूपये क्विंटल देने के कांग्रेस के वादे की जिस तरीके से आलोचना की उससे भाजपा बैकफुट पर आ गई है। पटेल ने सफाई भी दी है, लेकिन कांग्रेस ने चुनाव में मुद्दा बना दिया है। वैसे ही किसानों के मामले को लेकर आलोचना झेल रही भाजपा को जवाब देते नहीं बन रहा है ।
अफसर ने बदला पाला
भाजपा ने खैरागढ़ के डीएफओ दिलराज प्रभाकर को हटाने की मांग को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की है वो कभी भाजपा के बड़े नेताओं के पसंदीदा माने जाते थे । रमन सरकार में वो कवर्धा और खैरागढ़ में ही पोस्टेड रहे । उन्हें नांदगांव और कवर्धा से बाहर नहीं भेजा गया । कांग्रेस ने भी प्रभाकर को सुविधा जनक मानकर खैरागढ़ में पोस्टिंग कर दी। अब भाजपा नेता बेचैन है क्योंकि पुराने रिश्ते के बाद भी प्रभाकर हाथ नहीं धरने दे रहे हैं और कांग्रेस तो खुश है ही ।
क्या एजेंडा सेट हो गया
भूपेश बघेल धरातली रणनीति को भांपते हुये अपनी पार्टी की जड़ों की तरफ लौट रहे हैं। आजादी के पहले का कांग्रेस का चुनाव चिन्ह चरखा छाप था। उसमें वर्धा की तर्ज पर नया रायपुर में आश्रम बनाने का काम चल रहा है। आजादी के बाद 1967 में बैल जोड़ी व 1980 में गाय-बछड़ा चुनाव चिन्ह रहा है। इसी के इर्द गिर्द भूपेश सरकार की योजनाएं घूम रही है। भाजपा से हिन्दुत्व का मुद्दा छिनने राम पथ गमन का भव्य निर्माण व गांव-गांव में राम मंडली के लिये पैसा और गौ-मूत्र बेचने का फैसला यानि आगामी विधानसभा चुनाव का एजेंडा ड़ेढ़ साल पहले सेट हो गया। देखते है रामजी किसकी नैय्या पार लगाते हैं।
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एक लाख नये शिक्षक भर्ती….
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल को मिल रही भारी सफलता के बाद आगामी वर्षो में शिक्षा व्यवस्था को चुस्त दूरूस्त करने एक लाख नये शिक्षक भर्ती करने का खाका तैयार हो रहा है। धान खरीदी से आर्थिक संकट में जुझते सरकार नयी भर्ती व संविदा भर्ती से होने वाले खर्च का आंकलन तैयार करवा रही है। करीब चार हजार करोड़ का इंतजाम कर शिक्षा व्यवस्था को दिल्ली की तर्ज पर सफल बनाने की कवायद का एक ब्लू प्रिंट तैयार की जा रही है।
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अधिकारियों में फेरबदल
खैरागढ़ उपचुनाव के बाद सरकार में प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा तेज हो गयी है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखतें हुये जिलों में पुलिस अधीक्षक व जिलाधीश की तबादले हो सकते है। कुछ जिलों में बेहतर तरीके से काम करने वाले अधिकारियों को पुरूस्कृत करते हुये बड़े जिलों में भेजने की तैयारी है। जिन जिलों में अधिकारियों व नेताओं के बीच समन्वय का अभाव है वहां भी हटाए जा सकते है। इस बार का फेरबदल लंबा व कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा। बार-बार अधिकारियों के फेरबदल के आरोपों से जुझती सरकार कुछ अधिकारियों को और मौका देना चाहती है।
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9 दिवस का अवकाश
सरकारी कर्मचारियों को केन्द्र के समान डी.ए.नहीं देने से नाराज कर्मचारी व अधिकारी संगठन सोमवार 11 अपै्रल से तीन दिन के लिये सामूहिक अवकाश में जाने वाले हैं और अगले दो दिन शासकीय अवकाश है। आंदोलन की तिथि ऐसी घोषित की गयी है ऊपर से नीचे तक पेशोपेश में है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कर्मचारियों को खुशखबरी देने का संकेत दिये हैं अगर नहीं दिये तो आगामी 9 दिवस पूरे छत्तीसगढ़ में शासकीय दफ्तरो में चपरासी से लेकर साहब गायब रहेंगे। आम जनता भटकती रहेगी।