ONE NATION ONE ELECTION : पूर्व CJI चंद्रचूड़ की राय से गरमाया ‘एक देश-एक चुनाव’ पर सियासी और संवैधानिक बहस ..

ONE NATION ONE ELECTION : Former CJI Chandrachud’s opinion heated up the political and constitutional debate on ‘one country-one election’.
नई दिल्ली, 8 जुलाई 2025। ONE NATION ONE ELECTION देश में ‘एक देश-एक चुनाव’ को लेकर बहस फिर तेज हो गई है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे पर संसद की स्थायी समिति को अपनी लिखित राय सौंपते हुए कहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं है। हालांकि उन्होंने इसके साथ चुनाव आयोग को दी जाने वाली नई शक्तियों पर चिंता जताई है।
क्या कहा पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने?
ONE NATION ONE ELECTION जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रस्तावित संविधान संशोधन बिल में ECI को विधानसभाओं का कार्यकाल घटाने या बढ़ाने की शक्ति मिल सकती है, जो गंभीर मुद्दा है। इसके लिए साफ-साफ परिभाषित परिस्थितियों की जरूरत है ताकि संवैधानिक संतुलन बना रहे। उन्होंने यह भी कहा कि एकसाथ चुनाव से राष्ट्रीय पार्टियों को लाभ और क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है। इसलिए चुनावी फाइनेंस और प्रचार नियमों को सख्त करने की जरूरत है।
एक देश-एक चुनाव के आर्थिक और प्रशासनिक पहलू
₹1.5 लाख करोड़ रुपए ईवीएम खरीदने में खर्च होंगे।
2034 के चुनाव में 7 लाख जवानों की जरूरत होगी।
थिंक टैंक स्टडी के अनुसार, साथ चुनाव में 77% लोग एक ही पार्टी को वोट देते हैं।
अन्य पूर्व CJIs की राय
रंजन गोगोई और जे.एस. खेहर 11 जुलाई को समिति से चर्चा करेंगे।
ONE NATION ONE ELECTION यूयू ललित ने चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराने का समर्थन किया था, लेकिन विधानसभाओं का कार्यकाल कम करने पर कानूनी चुनौती की आशंका जताई थी।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से संभावित फायदे
शासन में निरंतरता: सरकारों का ध्यान सिर्फ विकास पर रहेगा।
पॉलिसी पैरालिसिस रुकेगा: बार-बार आचार संहिता लागू नहीं होगी।
वित्तीय बोझ घटेगा: सुरक्षा, प्रचार और संसाधनों पर खर्च कम होगा।
प्रशासनिक कामकाज में सुधार: अधिकारी अपने मूल कार्यों पर ध्यान दे सकेंगे।
क्या 2029 से लागू होगा नया सिस्टम?
ONE NATION ONE ELECTION रामनाथ कोविंद समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक लोकसभा के साथ लाया जाए, ताकि ‘एक देश-एक चुनाव’ मॉडल पूरी तरह लागू किया जा सके। यह भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल था।