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OMG : रिटायर्ड IAS अधिकारी की संपत्ति पर तीन महिलाओं का दावा, नोएडा में करोड़ों की कोठी बनी विवाद का केंद्र

OMG: Three women claim property of retired IAS officer, house worth crores in Noida becomes center of controversy

नोएडा। यूपी के गौतमबुद्ध नगर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां रिटायर्ड IAS अधिकारी हरिशंकर मिश्रा की मौत के बाद उनकी करोड़ों की संपत्ति पर तीन महिलाओं ने अपना-अपना हक जताया है। मामला अब जांच के घेरे में है और चर्चा का विषय बना हुआ है।

पहली महिला: शीबा शिखा का दावा

रिटायर्ड IAS अधिकारी हरिशंकर मिश्रा का 11 जुलाई को गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनकी मौत के एक महीने बाद, शीबा शिखा नाम की 30 वर्षीय महिला नोएडा अथॉरिटी पहुंची और खुद को उनकी पत्नी बताया। शीबा ने शादी और डेथ सर्टिफिकेट दिखाते हुए संपत्ति ट्रांसफर का आवेदन किया। चौंकाने वाली बात यह है कि उनका मैरिज सर्टिफिकेट अधिकारी की मौत से महज 8 दिन पहले का था। इसके आधार पर 4 दिसंबर को सेक्टर-62 स्थित 10 करोड़ रुपये की 180 मीटर की कोठी शीबा शिखा के नाम पर ट्रांसफर कर दी गई।

दूसरी महिला: अनीता मिश्रा का दावा

23 दिसंबर को अनीता मिश्रा नाम की एक और महिला नोएडा अथॉरिटी पहुंचीं और खुद को हरिशंकर मिश्रा की पत्नी बताया। अनीता का दावा है कि उनकी शादी 27 साल पहले हुई थी और उनके 24 वर्षीय बेटा और 23 वर्षीय बेटी हैं। अनीता ने शादी और डेथ सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए, जिसके बाद अथॉरिटी ने शीबा शिखा के नाम पर हुई प्रॉपर्टी ट्रांसफर को निरस्त कर दिया।

तीसरी महिला: बेटी का दावा

मामले में एक और मोड़ तब आया जब 45 वर्षीय एक अन्य महिला अथॉरिटी के पास पहुंची और खुद को रिटायर्ड IAS अधिकारी की बेटी बताया। महिला ने कहा कि उसकी मां, जो असली पत्नी हैं, कुशीनगर में रहती हैं लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से आ नहीं सकीं। उसने भी आवश्यक दस्तावेज जमा कराए, जिसने अधिकारियों को उलझन में डाल दिया।

प्राधिकरण कर रहा है जांच

नोएडा अथॉरिटी के AGM संजीव ने बताया कि तीनों महिलाओं ने वैध दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं और सभी ने अपना-अपना दावा किया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जा रही है।

संपत्ति विवाद बना चर्चा का विषय

एक IAS अधिकारी की तीन-तीन पत्नियां और करोड़ों की संपत्ति पर विवाद का यह मामला अब चर्चा का विषय बना हुआ है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच के बाद प्राधिकरण किसके पक्ष में फैसला सुनाता है और इस संपत्ति का असली हकदार कौन है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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