
BIG BREAKING : IAS arrested while taking bribe of lakhs…
धरमगढ़, कालाहांडी, 9 जून 2025। BIG BREAKING ओडिशा के कालाहांडी जिले के धरमगढ़ में तैनात उप-कलेक्टर धीमान चकमा को 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी उनके आधिकारिक सरकारी आवास पर की गई, जहां सतर्कता प्रकोष्ठ (विजिलेंस) की टीम ने कार्रवाई की। इसके अलावा तलाशी के दौरान उनके घर से 47 लाख रुपये नकद भी बरामद किए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
सतर्कता विभाग के अनुसार, उप-कलेक्टर धीमान चकमा ने एक स्थानीय व्यवसायी से कुल 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि रकम नहीं दी गई तो उस व्यवसाय के खिलाफ प्रतिकूल प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर प्लान की गई ट्रैप कार्रवाई के दौरान उसे चकमा के सरकारी आवास पर बुलाया गया, जहां चकमा ने कथित रूप से पहली किस्त के रूप में 10 लाख रुपये स्वीकार किए।
BIG BREAKING विजिलेंस अधिकारियों के अनुसार, उप-कलेक्टर ने नोटों के 26 बंडलों (अधिकांश ₹100 मूल्यवर्ग के) की सावधानीपूर्वक जांच की और फिर उन्हें अपने कार्यालय की मेज की दराज में रखा। बाद में की गई रासायनिक परीक्षण प्रक्रिया (फेनोफ्थेलिन टेस्ट) में उनके दोनों हाथों और दराज पर रासायनिक प्रतिक्रिया सकारात्मक पाई गई, जिससे रिश्वत लेने की पुष्टि हुई।
घर की तलाशी में और 47 लाख बरामद
गिरफ्तारी के तुरंत बाद सतर्कता टीम ने चकमा के सरकारी आवास पर तलाशी ली। इस दौरान विभिन्न अलमारियों, बक्सों और अन्य स्थानों से कुल 47 लाख रुपये नकद जब्त किए गए। अधिकारियों ने कहा है कि तलाशी अभी जारी है और अन्य दस्तावेजों व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की भी जांच की जा रही है।
कानूनी कार्यवाही और केस दर्ज
BIG BREAKING इस मामले में सतर्कता प्रकोष्ठ पुलिस स्टेशन में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 (जो कि PC संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा परिवर्तित है) के तहत मामला संख्या 6/2025 दर्ज किया गया है।
विजिलेंस निदेशालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जांच प्रक्रिया तेजी से चल रही है और आरोपी अधिकारी के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।
प्रशासन में मचा हड़कंप
BIG BREAKING धीमान चकमा की गिरफ्तारी के बाद प्रशासनिक हलकों में भारी हलचल है। एक वरिष्ठ अधिकारी के इस तरह भ्रष्टाचार के मामले में फंसने से राज्य की प्रशासनिक छवि पर प्रश्नचिह्न लग गया है। इस प्रकरण ने अधिकारियों की ईमानदारी और पारदर्शिता पर बहस को फिर से हवा दी है।