NUPUR SHARMA : नूपुर शर्मा के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सभी मामलों में दिल्ली पुलिस करेगी जांच

Supreme Court’s decision in favor of Nupur Sharma, Delhi Police will investigate in all cases
नई दिल्ली। नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने के मामले में बड़ी राहत मिली है। जज सूर्यकांत और जज जेबी पारदीवाला की स्पेशल बेंच ने नूपुर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि सभी मामलों की जांच अब दिल्ली पुलिस करेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच पूरी होने तक नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी नहीं होगी।
नूपुर शर्मा के पक्ष में फैसला –
सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा केस में सुनवाई करते हुए कहा कि उनको अधिकार है कि वह अपने खिलाफ दर्ज सभी मामलों को रद्द कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट जा सकती हैं। दरअसल, नूपुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली थी और मांग की थी कि उनके खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को कल्ब और ट्रांसफर किया जाए, और उन्हें अनुमति दी जाए की वह अपने खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को रद्द कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जा सकें। हाई कोर्ट ने इन सभी मांगों को मान ली है।
पहले की थी काफी तीखी निंदा –
यह केस 26 मई को एक टीवी डिबेट शो के दौरान पैगंबर पर कथित विवादित टिप्पणी से जुड़ा हुआ है। बेंच ने अपने एक जुलाई के आदेश के बाद नूपुर शर्मा को कथित तौर पर जान से मारने की धमकियां मिलने का भी संज्ञान लिया। अदालत ने अपने एक जुलाई के आदेश में नूपुर के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने से इनकार कर दिया था और उनकी टिप्पणी को लेकर तीखी निंदा की थी। बेंच ने कहा था, नूपुर शर्मा ने अपनी ‘बेलगाम जुबान’ से ‘पूरे देश को आग में झोंक दिया है’ और देश में ‘जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं।’
‘नूपुर को जान से मारने की धमकियां मिलीं’ –
नूपुर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील रखने के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक जुलाई के आदेश के बाद से नूपुर को जान से मारने की धमकियां मिली हैं और यह रिकॉर्ड में आया है कि पाकिस्तान से एक व्यक्ति ने उन पर हमला करने के लिए भारत की यात्रा की है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पटना में कुछ कथित चरमपंथियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका निशाना याचिकाकर्ता थीं। बेंच ने सिंह से पूछा कि क्या ये घटनाएं जिनका वह जिक्र कर रहे हैं, एक जुलाई के आदेश के बाद हुई हैं? वरिष्ठ अधिवक्ता ने इसका जवाब ‘हां’ में दिया।