जीएनए पीजी कालेज भाटापारा में हुए घोटाले मामले में पूर्व प्राचार्य को जारी हुआ नोटिस, एफआईआर के लिए अभी भी जारी है थाने में धरना

रायपुर। जीएनए पीजी कालेज भाटापारा में पूर्व प्राचार्य पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान क्रय-विक्रय, जनभागीदारी मद का दुरुपयोग करते हुए गंभीर आर्थिक अनियमितता किया है। जिसकी शिकायत लाल बहादूर यादव सहित कालेज के जनभागीदारी समिति ने सचिव उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन एवं आयुक्त उच्च शिक्षा संचनालय रायपुर को फरवरी 2022 में पूरे दस्तावेजों के साथ किया गया था। शिकायत के तीन माह बाद आयुक्त उच्च शिक्षा संचालनालय ने इसे संज्ञान में लेते हुए पत्र क्र. 889/आउशि/निज सहा/2022 नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 24.05.2022 को एक पत्र जारी किया हैं, जिसमें पूर्व प्राचार्य डॉ. निशा शर्मा से नौ बिंदुओं पर कारण बताओ का नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। उच्च शिक्षा संचालनालय द्वारा भेजे गए पत्र में डॉ. निशा शर्मा से तीन दिवस के अंदर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया है। हमारे सूत्र बताते हैं कि उच्च शिक्षा संचालनाल ने पत्र 24.5.22 को जरूर जारी किया है पर यह पत्र 3.06.22 को तब पहुंचा है जब पूर्व प्रभारी प्रचार्य अपनी सेवा से निवृत्त हो गई है। हमारे सूत्र ने यह भी जानकारी दिया है कि पूर्व प्रभारी प्रचार्य ने अपने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कुछ समय मांगा है। अब देखना यह है कि पूर्व प्राचार्य के जवाब के बाद शिक्षा विभाग अगला कदम क्या उठाता है।
थाने में जारी है एफआईआर के लिए धरना
वहीं इस मामले में महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष, सदस्य सहित कांग्रेस के एल्डरमैन व अनेक पदाधिकारी पिछले एक पखवाड़े से भाटापारा थाने में पूर्व प्राचार्य सहित इस घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं पर अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हो सका है। महाविद्यालय के पूर्व जनभागीदारी समिति अध्यक्ष नानू सोनी का कहना है कि छोटे से छोटे मामले में एफआईआर दर्ज करने वाली पुलिस इस प्रकरण में ढुलमुल रवैया क्यों अपना रही है समझ से परे है। उन्होंने बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने आईजी को भी ज्ञापन दिया है पर अब तक नतीजा सिफर रहा हैं। नानू सोनी ने हमें बताया कि थाने में सारे दस्तावेज हमारे द्वारा देते हुए ब्यान भी दर्ज कराया जा चुका हैं फिर भी एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है। गौरतलब हो भाटापारा निवासी शिकायतकर्ता लालबहादुर ने फरवरी 2022 में सचिव उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन सहित आयुक्त उच्च शिक्षा संचनालय को सूचना के अधिकार के तहत निकाले गए दस्तावेजों के आधार पर अपनी शिकायत में बताया था कि शासकीय गजानंद अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा में पूर्व प्रभारी प्राचार्य श्रीमती निशा शर्मा, क्रय समिति सयोजक व जंतु विज्ञान के सहायक प्राध्यापक रविदास, इतिहास के सहायक प्राध्यापक ऋषिराज पांडेय, लेखापाल आदित्य मिश्रा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निर्माण कार्यों व सामान क्रय में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जनभागीदारी समिति को अंधेरे में रखकर जनभागीदारी मद सहित अन्य मद का जमकर दोहन करते हुए आर्थिक अनियमित्ता को अंजाम दिया है।
62.5 केवीए का डीजी सेट स्थापना में भ्रष्टाचार
शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत में बताया था कि महाविद्यालय में 62.5 केवीए का डीजी सेट स्थापना बाजारी मूल्य से लगभग डेढ़ लाख रुपए अधिक में खरीदकर शासकीय राशि दुरुपयोग किया गया वहीं इस भ्रष्टाचार को इतने सफाई से अंजाम दिया की किसी को भनक ना लगें इसके लिए डीजी सेट के खरीदी आमंत्रित निविदा को जावक पंजी में पंजीकृत भी नही किया गया, समाचार पत्र में आमंत्रित विज्ञापन में विवरण भी नहीं दिया गया और तो और कॉलेज के वेबसाइड में भी इसे अपलोड नहीं किया गया था। कॉलेज प्रांगण में अवैध उत्खनन कर अपने होटल का बना डाला रोड शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत में बताया था कि पूर्व प्रभारी प्राचार्य ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए महाविद्यालय प्रांगण से जेसीबी मशीन द्वारा अवैध उत्खनन कर सैकड़ो ट्रिप मुरूम-मिट्टी साहू ट्रांसपोर्ट एंड जेसीबी के बिना नंबर प्लेट ट्रैक्टर द्वारा अपने होटल व्हाइट किचन, पेट्रोल पंप, कृषि फॉर्म का रोड बनाने में परिवहन करने की शिकायत जिलाधीश, माइनिंग ऑफिसर बलोदाबाजर को किया गया था।
नियमों को दरकिनार कर खरीदी
शासकीय मद (जनभागीदारी, स्व-वित्तीय एवं पीडी फंड) से शासकीय क्रय एवं भंडार नियमों का पालन ना करते हुए अनियमित रूप से खर्च करने के मामले में शिकायतकर्ता ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के निविदा नियमों को ताक में रखते हुए बिना निविदा निकाले ही सामान क्रय कर बिल भुगतान, महाविद्यालय में कैमरा लगाने आमंत्रित निविदा में भी हेराफेरी करते हुए एक ही फॉर्म से दो कोटेशन मंगवाया जाना, प्रिंटर व पानी-पंप के मरम्मत कार्य में भी कूटरचना कर राशि आहरण किए जाने जैसे अनेक कार्यों का उल्लेख अपनी शिकायत में किया था।
निर्माण कार्यों में भी भारी हेराफेरी
पूर्व प्रभारी प्राचार्य ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर किस तरह सरकारी राशि का बंदरबाट किया है आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि महाविद्यालय के मुख्य द्वार को तोड़कर लोक निर्माण विभाग की अनुमति लिए बगैर ही जनभागीदारी मद का दुरुपयोग करते हुए अपंजीकृत ठेकेदार से निर्माण करवाते हुए सक्षम आर्किटेक्ट/ अधिकारी से बिना अनुमोदन के ही पांच लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। इसी तरह महाविद्यालय भवन के रंग-रोंगन का काम अपंजीकृत ठेकेदार को लोक निर्माण विभाग के एसओआर से अधिक रेट में आबंटित किया गया तथा बिना जीएसटी टीडीएस की कटौती किए ही बिल द्वारा चालीस लाख अड़तीस हज़ार तीन सौ दस रूपए का भुगतान किया गया, यहां यह बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग के निर्देश अनुसार पांच हज़ार या उससे अधिक की राशि का भुगतान ई-पेमेंट के द्वारा किया जाना है परंतु यहां पर नियमों का अवहेलना करते हुए संपूर्ण राशि का अकाउंट पेय चेक से भुगतान ना कर उक्त राशि का आहरण स्वयं करते हुए शासकीय मद का गबन किया गया।
इसी तरह महाविद्यालय परिसर में विवेकानंद गार्डन के पुनर्निर्माण, बास्केटबाल ग्राउंड निर्माण में भी भारी गड़बड़ी किया गया हैं।