
रायपुर। ललितप्रभ महाराज ने कहा कि नवकार मंत्र जैन धर्म का एकता का बेजोड़ मंत्र है। यह केवल जैनियों का नहीं पूरी मानवता के कल्याण का मंत्र है। जिसके द्वारा मन का शमन हो, जो मन को तार दे उसका नाम मंत्र है। नवकार मंत्र धरती के महापुरुषों को प्रणाम कर पापों को मिटाने और अहंकार को झुकाने का मंत्र है। जो व्यक्ति इस मंत्र का नियमित जाप करता है उस पर कभी बुरी नजर हावी नहीं और ऊपर की बाधाएं भी समाप्त हो जाती है।
संत प्रवर रविवार को ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में नवपद ओली पर आयोजित विशेष प्रवचन माला के दूसरे दिन नवकार मंत्र में सिद्ध पद और सिद्धि पाने का रहस्य विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवकार का दूसरा पद है नमो सिद्धाणं अर्थात सिद्धों को नमस्कार। जिन्होंने अपने सारे कार्य सिद्ध कर परमात्म स्वरूप को प्राप्त कर लिया है। इस पद का जाप करने से व्यक्ति के सारे कार्य सिद्ध होने लगते हैं और वह तेजस्वी व्यक्तित्व का मालिक बनता है।
मंत्र साधना की विधी बताई-संतश्री ने कहा कि मंत्र साधना की विधि बताते हुए कहा कि जब भी मंत्र का जाप करे तो पहले लगातार उच्चारण करें, लयबद्ध और तालवादन के द्वारा मंत्र और मन को एक होने दें। दूसरे चरण में स्मरण अर्थात मंत्र का श्वासोश्वास के साथ स्मरण करें, तीसरा चरण में हृदय या ललाट पर मंत्र के स्वरूप का ध्यान करें और अंतिम चरण अंतर्लीनता अर्थात मंत्र में स्वयं को विलीन कर दें।
मंत्रोंच्चार के लिए पाँच शुद्धि जरूरी-पाँच शुद्धियों का विवेक रखने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा कि मंत्रोंच्चार में शरीर शुद्धि, मुख शुद्धि , उच्चारण शुद्धि, स्थान शुद्धि और हृदय शुद्धि जरूरी है। शरीरशुुद्धि के लिए स्नान करें, मुख शुद्धि के दुर्व्यसनों का त्याग करें, ज्ञानी गुरु से उच्चारण शुद्ध करें, स्वच्छ और शांत स्थान में बैठें, आसन का उपयोग करते हुए पूर्व या उत्तर दिशा मे बैठें, शुद्ध हृदय और पवित्र भावना के साथ मंत्र का जाप करें।
प्रवचन में संतप्रवर ने श्रीपाल रास का वांचन कर रास से जुड़े रोचक प्रेरक प्रंसगों का जिक्र किया तो श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को ओम रीं श्रीं श्री नमो सिद्धाणं मंत्र का सामूहिक जाप करवाया।
इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय सागर ने कहा कि कार्य सिद्धि के लिए सिद्ध पद का ध्यान करवाया। संघ अध्यक्ष विजय कांकरिया ने बताया कि सोमवार को सुबह 9 बजे संतप्रवर नवकार मंत्र में आचार्य पद का रहस्य विषय पर संबोधन देंगे।
रवचन एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में जारी
चातुर्मास समिति के महामंत्री पारस पारख ने बताया कि राष्ट्रसंतों के शनिवार से प्रारंभ नौ दिवसीय विशेष प्रवचन सुबह 9.00 बजे से 10.30 बजे तक जैन दादाबाड़ी एमजी रोड में जारी हैं।
शाश्वत नवपद की ओली की आराधना
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागर एवं डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागर के पावन सानिध्य में महामंगलकारी शाश्वत श्रीनवपद ओली की आराधना 1 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुकी है। जो 9 अक्टूबर तक एमजी रोड स्थित श्रीजिनकुशल सूरी दादाबाड़ी में की जाएगी। राष्ट्रसंत 1 से 10 अक्टूबर तक दादाबाड़ी में विराजित रहेंगे, प्रतिदिन प्रवचन प्रात: 9 से 10.15 बजे तक, प्रतिदिन नवपद की ओली की क्रिया विधि प्रात: 10.30 से 11.30 बजे तक, आयंबिल प्रात: 11.45 बजे से की जा रही है। तपस्वियों का पारणा 10 अक्टूबर को प्रात: 8 बजे से कराया जाएगा। नवपद की ओली की आराधना व अनुष्ठान के लाभार्थी हैं- श्रीमती संपतबाई मोतीलाल संतोषचंद रंजना देवी दुग्गड़ परिवार धमतरी-रायपुर।