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कल्पसूत्र में आज महावीर जन्म का प्रसंग,14 दिव्य स्वप्नों की लगाई जाएगी बोली

रायपुर। एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में चातुर्मास के अंतर्गत इन दिनों पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व मनाया जा रहा है। पीठ पर विराजित श्री विनय कुशल मुनि म.सा. और श्री विराग मुनि म.सा. द्वारा कल्पसूत्र की वाचना की जा रही है। इसके तहत बुधवार को भगवान महावीर स्वामी के जन्म का प्रसंग आएगा। जैन समाज इस दिन को भगवान महावीर के जन्मोत्सव के तौर पर मनाएगा।

मुनिश्री के आह्वान पर समाजजन इस दिन अपने आसपास मिठाइयां बांटेंगे। प्रवचन सभा में विराग मुनि ने धर्म की प्रभावना का महत्व समझाते हुए कहा, जरूरतमंदों की आर्थिक मदद कर देना ही साधर्मिक भक्ति नहीं है। लोगों को धर्म से जोडऩा भी साधर्मिक भक्ति है। आपको देखकर या आपकी प्रेरणा से दूसरों के प्रति धर्म के प्रति अहोभाव जाग जाएं, इससे अच्छा कुछ नहीं। श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया कि भगवान महावीर जन्मोत्सव पर शहरभर से जैन श्रावक-श्राविकाएं दादाबाड़ी में जुटेंगे। इसे देखते हुए व्यापक तैयारियां की गई हैं। भगवान महावीर के जन्म वाचना से पहले माता त्रिशला ने जो 14 दिव्य स्वप्र देखे थे, मुनिश्री द्वारा उनका महत्व और रहस्य समझाया जाएगा। इस स्वप्रों की बोली भी लगाई जाएगी। इसके अलावा रात में प्रभु भक्ति का भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।

अंतिम पड़ाव की ओर महान
सिद्धि तप, आज 8 का उपवास
आत्मस्पर्शीय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख, महासचिव नरेश बुरड़ और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि चातुर्मास के अंतर्गत महान सिद्धि तप अपने अंतिम पड़ाव की ओर है। बुधवार को 8 के उपवास का पहला दिन होगा। यह बहुत कठिन तप है। श्री विनय कुशल मुनि म.सा. और श्री विराग मुनि म.सा. के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं इस तप को कर रहे हैं। पर्यूषण को देखते हुए सभी ने संयुक्त रूप से समाजजनों से आह्वान किया कि इन अवधि में व्यापार से ज्यादा समय धर्म में लगाएं। ज्यादा से ज्यादा जप-तप, साधना-आराधना करें। राग-द्वेष, निंदा आदि से दूर रहें। जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा-याचना करें। अपने द्वारा की गई गलतियों के लिए क्षमा-याचना करें। ज्यादा से ज्यादा जीवों को अभयदान दें। भूलकर भी मन, वचन, कर्म से हिंसा न करें। उन्होंने बताया कि महावीर जन्मोत्सव के लिए मंदिर प्रांगण और दादाबाड़ी को भव्य रूप से सजाया जा रहा है।

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