रायपुर, 18 जुलाई । सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत विभाग का प्रभार क्या छोड़ा, भाजपा को सरकार को घेरने का मौका मिल गया। मगर दस्तावेज सिंहदेव के आरोपों को सही नहीं ठहरा रहे हैं। जानकारों का दावा है कि अगर दस्तावेज सार्वजनिक हुए, तो सिंहदेव की मुश्किलें बढ़ सकती है।
सिंहदेव ने पंचायत विभाग की योजनाओं के लिए पर्याप्त धनराशि आबंटित नहीं होने पर विभाग छोड़ दिया है। इसको लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और अन्य ने टीएस सिंहदेव के आरोपों के आधार पर सरकार को घेरा है।
यह भी कहा है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगो के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरंक रही, पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सिंहदेव के दावे के विपरीत कई नए चौंकाने वाली जानकारी आई है। बताया गया कि कोविड काल में राज्य की वित्तीय स्थिति अब तक प्रधानमन्त्री आवास योजना में राज्य सरकार द्वारा केन्द्रांश 6858 करोड़ एवं राज्यांश 4057 करोड़ सहित कुल 10915 करोड़ रु खर्च किये जा चुके हैं। कोविड काल में राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब होते गयी जिससे आवास योजना के लिए राज्यांश की पूर्ति के लिए ऋण लेने का फैसला लिया गया और इसके लिए अनेक बात बैंकों से ऑफर बुलाए गए।
बताया गया कि कर्ज लेने पर रिजर्व बैंक की रोक वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बैंकों को यह निर्देश दिए गए हैं कि राज्य सरकारों के निगम/मंडल/प्राधिकरणों को किसी योजना के लिए ऋण न दिया जाए जिसका भुगतान राज्य बजट से किया जाना हो। इस निर्देश के आते ही बैंकों ने आवास योजना के लिए राशि उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
इसके बाद सरकार ने अनुपूरक बजट में इसको लेकर फैसला लिया। सूत्र बताते हैं कि टीएस सिंहदेव 14 जुलाई की कैबिनेट बैठक में उपस्थित थे और उस बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई थी और राज्य सरकार इस पर राशि उपलब्धता के लिए सकारात्मक निर्णय ले चुकी है।
सूत्र का कहना है कि यह आश्चर्यजनक है कि सभी तथ्यों से अवगत होने के बाद भी ऐसा तीन दिवसीय आरोप लगाकर अपनी खुद की स्थिति खराब कर ली है और जैसे ही अनुपूरक बजट विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।