
रायपुर| भारत में क्रिकेट को लेकर फेंस हमेशा उत्साहित रहते हैं मगर जबसे आईपीएल की शुरुआत हुई है, तभी से लोगों की रूचि इस रोमाचंक टूर्नामेंट में बढ़ती गयी हैं. टीम मालिकों के लिए ये सिर्फ क्रिकेट का गेम नहीं बल्कि बिजनेस गेम है. आईपीएल जैसा मजबूत बिजनेस मॉडल केवल टिकटों की बिक्री पर निर्भर नहीं है. वह कई अन्य आउटलेट के जरिए धन उत्पन्न कर सकते हैं. आईपीएल टूर्नामेंट के दौरान फ्रेंचाइजी एक मूल्यवान व्यावसायिक संपत्ति के रूप में विकसित हुई है. यह फर्मों को अपने व्यवसायों को बड़े पैमाने पर विज्ञापन करने का अवसर प्रदान करता है. जिससे वह आसानी से पैसा कमा सकते हैं और आईपीएल को जारी रख सकते हैं.
आईपीएल टीमें ऐसे कमाती है पैसा
हम अक्सर देखते हैं कि आईपीएल खिलाड़ियों को ब्रांड स्पॉन्सरशिप के लिए कास्ट किया जाता है. आईपीएल सीजन के दौरान स्पॉन्सरशिप बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आईपीएल टीमें अपने राजस्व का एक बड़ा प्रतिशत ब्रांड प्रायोजन के माध्यम से उत्पन्न करती हैं. सभी फ़्रैंचाइजी जो ब्रांडों के साथ साझेदारी करते हैं, उनके किट पर अपने लोगो का समर्थन करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं. आईपीएल टीमों के राजस्व का लगभग 20-30 प्रतिशत प्रायोजन से मिलता है.
प्राइज मनी से लेकर ब्रॉडकॉस्टिंग तक से मिलते हैं पैसे
- प्राइज मनी
- लोकल स्पॉन्सरशिप
- क्रिकेट स्टेडियम के अंदर लगने वाले विज्ञापन
- मर्चेंडाइज सेल्स
- फ्रेंचाइजी की नीलामी
- ब्रॉडकॉस्टिंग
- टाइटल और कॉरपोरेट स्पांसरशिप
- प्लेयर्स की जर्सी पर विज्ञापन
- टिकटों की बिक्री