महंगाई ने बढ़ाई चिंता: रोटी कपड़ा और मकान…सबकुछ हुआ महंगा…ओमिक्रॉन अब और बढ़ाएगा खर्च
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नई दिल्ली : लगभग 60 फीसदी शहरी भारतीय पिछले छह माह से महंगाई की आग में जल रहे हैं. एक ग्लोबल सर्वे के मुताबिक जरूरी वस्तुओं और सेवाओं जैसे ट्रांसपोर्टेशन, हाउसिंग, फूड और ड्रिंक, यूटिलिटीज, कपड़े-जूते, मेडिकल व हेल्थकेयर और मनोरंजन की उच्च लागत से दुनियाभर के लोग परेशान हैं. खबर तो ये है कि अधिकांश भारतीयों का मानना है कि घरेलू खर्च अगले तीन महीनों में और बढ़ेगा. इसकी वजह कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन का बढ़ता खतरा है.मार्केट रिसर्च फर्म Ipsos के CEO अमित अदारकर का कहना है कि महंगाई को और बढ़ने से रोकने के लिए ओमीक्रॉन पर नियंत्रण और कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बचना ही पहला लक्ष्य होना चाहिए.
डराती है महंगाई
Ipsos के सर्वे के मुताबिक 10 में से 6 शहरी भारतीयों का कहना है कि वह छह माह पहले की तुलना में जरूरी चीजों के लिए ज्यादा पैसे दे रहे हैं. Ipsos ने 19 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच 30 देशों में 20 हजार 504 वयस्कों के बीच यह सर्वे किया था. भारत में खाने के तेल से लेकर कारों तक हर चीज की कीमत बढ़ रही है, क्योंकि कंपनियां कच्चे माल की महंगाई का सामना कर रही हैं, जो एक दशक की ऊंचाई पर है. महामारी ने जीवन जीना महंगा कर दिया है. और उपभोक्ता जरूरी चीजों के लिए ज्यादा कीमत चुका रहे हैं. ईंधन के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ी है, जिससे आवश्यक वस्तुओं के दाम पर इसका असर पड़ा है.
63 फीसदी शहरी भारतीयों का मानना है कि उनका खर्च परिवहन पर बढ़ गया है. इसमें पेट्रोल, कार भुगतान और रखरखाव, पार्किंग एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट शामिल है.शहरों में रहने वाले 60 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि उनका फूड और ग्रॉसरी पर खर्च छह माह पहले की तुलना में ज्यादा हो गया है.60 फीसदी शहरी भारतीयों का मानना है कि छह महीने पहले की तुलना में बिजली, गैस, पानी, फोन और इंटरनेट का खर्च भी बढ़ गया है.
12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर है भारत में महंगाई
थोक महंगाई का ये आंकड़ा 12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज़ी के कारण थोक महंगाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.कोर महंगाई दर 11.90 फीसदी से बढ़कर 12.20 फीसदी और सितंबर महंगाई दर के आंकड़ों को संशोधित किया गया है. अब ये 10.66 फीसदी से बढ़कर 11.80 फीसदी हो गई है.रिटेल महंगाई दर RBI के तय अनुमान के अंदर है. लेकिन यह लगातार दूसरा महीना है, जब इसमें बढ़ोतरी रही है. फ्यूल और ट्रांसपोर्ट लागत के चलते महंगाई दर में तेजी का रुख बना रहा. ट्रांसपोर्ट लागत में इजाफे का असर अन्य सामानों की लागत पर देखा जा रहा है. हालांकि, बढ़ी हुई लागत का बोझ किस हद तक कंज्यूमर्स पर डाला जाता है, प्रोडक्ट डिमांड पर निर्भर करेगा. फिलहाल महंगाई दर यह लेवल चिंता की विषय नहीं है. डिमांड में सुधार होने पर महंगाई में तेजी आ सकती है.