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भाजपा और कांग्रेस की जंग में ‘गारंटी’ ने ‘भरोसे’ को पछाड़ा…

0 अगर कांग्रेस सरकार ने काम किया तो क्या कारण है हार का..?

2023 के विधानसभा चुनाव में जनता ने ‘गारंटी’ पर भरोसा जताया है। गारंटी और भरोसे की जंग में गारंटी ने भरोसे को पछाड़ दिया है। 2018 में कांग्रेस को अपेक्षा और अनुमानों से भी बड़ी सफलता मिली, लेकिन उसे वो पचा नहीं पाई, जिसके फलस्वरूप जनता ने 2018 के अपने फैसले को सुधारते हुए भाजपा को प्रचंड बहुमत से जिता दिया।

जनता ही जनार्दन है, जिसने सट्टा, कमीशन, भ्रष्टाचार के मुद्दे को समझकर भाजपा के पक्ष में मतदान कर कांग्रेस की नैया बीच मझधार में डूबा दी। अब दिल्ली से लेकर राजधानी रायपुर तक मिली हार के कारणों की समीक्षा आने वाले पांच साल तक होती रहेगी।

आखिर क्या गलती हुई जिसकी हमें सजा मिली…

यदि कांग्रेस की सरकार ने काम किया है तो जनता का इतना आक्रोश क्यों सामने आया..? कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने चुनावी मंच से 75 सीटों के पार के अनुमान को जनता के पास रखा। कांग्रेस सरकार की योजनाओं का बखान बढ़-चढ़कर किया। क्या वजह थी कि कांग्रेस सरकार को गांव, गरीब, किसान, महिला सशक्तिकरण की योजना को मूर्तरूप देने के बाद भी जनता जनार्दन ने नकार दिया। सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस सरकार सिर्फ पांच साल के लिए काम करने की योजना बनाकर आई थी।

भाजपा के बड़े नेताओं पीएम से लेकर गृहमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्रियों ने कांग्रेस पर खुले पीएससी घोटाला, गोबर घोटाला, पीएम आवास घोटला सहित तमाम तरह के भ्रष्टाचार का खुला आरोप लगाया। साथ ही जनता से जो वादा किया, वह काम कर गया। भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने चुनाव परिणाम के रूझान को देखते हुए कहा कि भाजपा ने घोषणा पत्र में जो वादा किया है, वह उसे पूरा करेगी।

भाजपा का चुनाव अस्त्र ”मोदी की गारंटी” ‘भरोसा’ पर पारी पड़ गया। जनता ने कांग्रेस के भरोसे को नकारते हुए मोदी की गारंटी पर विश्वास किया और प्रचंड बहुमत देकर भाजपा को विजयी बनाया। साथ ही कांग्रेस को ये चेतावनी भी दी है कि जो सरकार ठीक से काम नहीं करेगी, जो जनता का भरोसा नहीं जीत पाएगी, उसे सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा।

कांग्रेस पार्टी अब हार के बाद हार का ठीकरा किस पर फोड़ती है, यह तो समीक्षा बैठक में 6 दिसंबर को दिल्ली में तय होगा, लेकिन उससे पहले हारने वालों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि हम कहां गलती कर बैठे। क्या जनता के लिए काम नहीं किया, यदि किया तो फिर क्या हुआ कि इतना अप्रत्याशित परिणाम सामने आया। उसके पीछे के कारणों को खोजना होगा। क्या यह बात कही सच तो नहीं हो गई कि “कांग्रेस को कोई हरा नहीं सकता, कांग्रेस को कांग्रेस ही हरा सकती है।”

अब तक के मिले रूझान से साफ हो गया है कि कांग्रेस सत्ता से बाहर है। क्या कांग्रेस को अंदेशा था कि ऐसा कुछ हो सकता है तो फिर उस दिशा में सुधारात्मक कार्य योजना बनाकर काम क्यों नहीं किया। भाजपा ने प्रमुखता से कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर करने की योजना बनाई और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर टूट पड़ी। पीएम मोेदी ने “30 टका कक्का, काम हो जाएगा पक्का” को जिस तरह से चुनावी मंच से प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया, उसका असर चुनाव परिणाम से साफ आ रहा है।

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के सबसे बड़े संगठन द्वारा गठित हमर राज पार्टी ने कोई सीट तो नहीं निकाली, मगर यह पार्टी वोट कटवा जरूर साबित हुई है। कहा जा रहा है कि आदिवासी बाहुल्य इलाकों में इस पार्टी के चलते कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा।

अब भाजपा की असली परीक्षा शुरू होने वाली है। जो अनपेक्षित जीत मिली है, उसका सम्मान करते हुए पार्टी ने जो ‘गारंटी’ दी है, उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा करना होगा। नहीं तो 2028 के विधानसभा चुनाव में जनता जनार्दन इस बार की तरह अपने फैसले से पीछे भी हट सकती है, क्योंकि जनता ही जनार्दन है, वो ही सत्ता पर कौन बैठेगा, यह तय करती है।

कांग्रेस के हार के कई कारण हो सकते है। इस पर सिलसिलेवार चर्चा तो कांग्रेसियों को करना है। कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का मौका मिला है, तो अब उसे पांच साल तक सत्ता में आने के लिए पसीना बहाना पड़ेगा। जनता की आवाज बनकर सत्ताधीशों के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा। चुनाव में जो कुछ हुआ उसके कारणों की खोज करने के साथ भीतरघातियों को भी सबक सिखाना होगा।

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