SUPREME COURT ON ED : ED पर सुप्रीम कोर्ट की झाड़ ! सिर्फ छोटे लोगों को पकड़ते हो, बड़ी मछलियों से डरते हो क्या ?

SUPREME COURT ON ED : Supreme Court’s rebuke on ED! You catch only small people, are you afraid of big fish?
नई दिल्ली। SUPREME COURT ON ED भारतीय रेलवे में कथित ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी और व्यवसायी अमित कत्याल को दी गई जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार: “मुख्य आरोपी खुले घूम रहे हैं, क्या उनसे डरते हैं?”
SUPREME COURT ON ED न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुख्य आरोपी खुले में घूम रहे हैं। सिर्फ छोटे लोगों को ही क्यों निशाना बना रहे हैं? क्या आप बड़े लोगों से डरते हैं? अब तक 11 अन्य आरोपियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया?” कोर्ट ने साफ कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत आदेश में हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं है।
हाईकोर्ट ने भी ईडी की नीति को बताया पक्षपातपूर्ण
SUPREME COURT ON ED गौरतलब है कि 17 सितंबर 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने अमित कत्याल को जमानत देते हुए ईडी की पिक एंड चूज (Pick & Choose) नीति की आलोचना की थी। कोर्ट ने कहा था कि कत्याल ने जांच में सहयोग किया, फिर भी उन्हें रांची रवाना होने से पहले IGI एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया, जबकि बाकी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
SUPREME COURT ON ED हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कत्याल की भूमिका अन्य आरोपियों की तुलना में बहुत कम थी, इसलिए उन्हें जमानत का हकदार माना गया।
ईडी का आरोप
SUPREME COURT ON ED ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि अमित कत्याल ने लालू यादव और उनके परिवार की कथित भ्रष्ट आय को छुपाने में सक्रिय भूमिका निभाई। एजेंसी ने बताया कि कत्याल A K Infosystems Pvt Ltd के निदेशक हैं, जिसने लालू प्रसाद यादव की ओर से उम्मीदवारों से ज़मीन खरीदी।
SUPREME COURT ON ED ईडी ने दावा किया कि कत्याल ने घोटाले के पैसों को शेल कंपनियों के माध्यम से घुमाया और आरजेडी प्रमुख के परिवार को लाभ पहुंचाया।
2023 में हुई थी गिरफ्तारी
SUPREME COURT ON ED 10 नवंबर 2023 को ईडी ने PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम) के तहत अमित कत्याल को गिरफ्तार किया था। उन्हें 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और दो जमानतदारों के आधार पर रिहा किया गया था।
कत्याल ने अदालत में समानता के आधार पर जमानत मांगी थी और ईडी के भेदभावपूर्ण रवैये की आलोचना की थी।