CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER : नक्सलियों के सामूहिक आत्मसमर्पण पर दोगुना इनाम, नक्सल मुक्त गांव में होंगे ₹1 करोड़ के विकास कार्य

CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER : Double reward on mass surrender of Naxalites, development work worth ₹ 1 crore will be done in Naxal-free village
रायपुर, 14 अप्रैल 2025। CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में तैयार की गई नई नक्सल आत्मसमर्पण नीति के तहत अब आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दोगुना इनाम और समाज की मुख्यधारा में लौटने का अधिक अवसर मिलेगा। इसके साथ ही जिन ग्राम पंचायतों को नक्सल मुक्त घोषित किया जाएगा, वहां ₹1 करोड़ के विशेष विकास कार्य किए जाएंगे।
CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER नई नीति के अनुसार, नक्सली संगठन की किसी भी फॉर्मेशन इकाई के 80 प्रतिशत या उससे अधिक सदस्य यदि एक साथ आत्मसमर्पण करते हैं, तो उन्हें उनकी घोषित इनामी राशि की दोगुनी राशि दी जाएगी। यही नहीं, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर जैसे अति नक्सल प्रभावित जिलों की ऐसी ग्राम पंचायतें जहाँ सभी सक्रिय नक्सली और मिलिशिया सदस्य आत्मसमर्पण करते हैं, उन्हें नक्सल मुक्त घोषित किया जाएगा और वहां ₹1 करोड़ के विकास कार्य किए जाएंगे।
पति-पत्नी दोनों आत्मसमर्पण पर मिलेगा अलग-अलग लाभ
CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER नीति में यह विशेष प्रावधान किया गया है कि यदि किसी नक्सली जोड़े (पति-पत्नी) द्वारा आत्मसमर्पण किया जाता है, तो उन्हें अलग-अलग इकाई मानते हुए व्यक्तिगत रूप से पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इनामी राशि भी दोनों के लिए पृथक रूप से तय की जाएगी।
10 दिनों के भीतर मिलेगी सहायता राशि
आत्मसमर्पण करने वाले को राहत एवं सहायता राशि गृह विभाग के बजट से प्रदान की जाएगी। संबंधित जिला कलेक्टर को यह सुनिश्चित करना होगा कि आत्मसमर्पण के 10 दिनों के भीतर पूरी राशि प्रदान कर दी जाए।
आपराधिक प्रकरण होंगे समाप्त, यदि आचरण संतोषजनक रहा
CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER यदि आत्मसमर्पित नक्सली पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, तो उनके नक्सल उन्मूलन में योगदान और 6 महीने के अच्छे आचरण के आधार पर राज्य मंत्रिपरिषद की उप समिति ऐसे मामलों को समाप्त करने पर विचार करेगी।
CHHATTISGARH NAXAL SURRENDER सरकार की इस नई नीति से यह स्पष्ट संकेत है कि छत्तीसगढ़ में अब नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के साथ-साथ शांति और पुनर्वास की नीति को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जा रही है। इसका उद्देश्य हिंसा की राह छोड़ चुके नक्सलियों को सामाजिक पुनःस्थापना के जरिए एक सम्मानजनक जीवन देना है।