BHARATMALA LAND SCAM : छत्तीसगढ़ में भारतमाला मुआवजा स्कैम की गूंज, प्रदेशभर में होगी हाईलेवल जांच, अफसरों-नेताओं की बढ़ी धड़कन

BHARATMALA LAND SCAM : Echo of Bharatmala compensation scam in Chhattisgarh, high level investigation will be done across the state, heartbeat of officers and leaders increased
रायपुर। BHARATMALA LAND SCAM अभनपुर से उठे भारतमाला मुआवजा घोटाले की आंच अब पूरे छत्तीसगढ़ को चपेट में ले चुकी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस गंभीर स्कैम की जड़ तक पहुंचने का फैसला किया है और अब राज्य के सभी ज़िलों में भारतमाला परियोजना से जुड़े मुआवजा घोटालों की व्यापक जांच शुरू की जा रही है। इस कदम से अफसरशाही से लेकर सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है।
नौकरशाही और नेताओं की भूमिका संदिग्ध –
BHARATMALA LAND SCAM कोरबा, धमतरी, कांकेर, राजनांदगांव और जांजगीर जैसे जिलों में कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर ज़मीन के छोटे-छोटे टुकड़े करवाकर आठ गुना मुआवजा वसूल लिया। इतना ही नहीं, कोरबा के एक बड़े जनप्रतिनिधि पर आरोप है कि उसने मनरेगा मजदूरों के नाम पर ज़मीनें खरीदकर टुकड़े किए और करोड़ों का मुआवजा ले लिया।
एनपीजी न्यूज़ की रिपोर्ट बनी आधार –
इस पूरे मामले का सबसे पहले खुलासा एनपीजी न्यूज़ ने किया था, जिसके बाद राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अफसर सस्पेंड हुए और ईओडब्लू जांच की घोषणा हुई। जांच की दिशा बदलते देख सरकार को जानकारी मिली कि भारतमाला सड़क परियोजना वाले हर जिले में यही खेल खेला गया है।
राज्य सरकार ने लिया सख्त फैसला –
BHARATMALA LAND SCAM राजस्व विभाग ने अब राज्य के पांचों संभागायुक्तों को पत्र लिखकर 15 दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राजस्व सचिव अविनाश चंपावत के हस्ताक्षर से जारी आदेश में कहा गया है कि परियोजना से जुड़े जिलों में भू-अर्जन कार्यवाही में भारी गड़बड़ी सामने आई है।
ये पांच बड़े सवालों पर होगी जांच –
मुआवजा पाने के लालच में क्या ज़मीनों के टुकड़े किए गए?
अधिसूचना जारी होने के बाद खसरे का बटांकन क्यों हुआ?
क्या फर्जी नामांतरण और बंटवारा पत्रक बनाए गए?
कितनों को आठ गुना मुआवजा दिया गया?
क्या इनमें राजनैतिक हस्तक्षेप हुआ?
जांच की आंच पहुंच सकती है कई दिग्गजों तक –
BHARATMALA LAND SCAM सरकार के इस आदेश के बाद संभागायुक्तों ने भी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। संभावना है कि यह छत्तीसगढ़ का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है, जिसमें कलेक्टर, एसपी, मंत्री और दोनों प्रमुख दलों के नेता संदेह के घेरे में हैं।