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HINDI DIWAS 2022 : पहली बार सरकारी दस्तावेज हिंदी में उपलब्ध, जम्मू कश्मीर में बदली हवा, आज हिंदी दिवस पर पढ़े यह खास खबर

Hindi DIWAS 2022: For the first time, government documents are available in Hindi, the air has changed in Jammu and Kashmir, read this special news on Hindi Diwas today

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी अहम बदलाव हुए हैं। यह न केवल आतंकवाद व अलगाववाद पर अंकुश और विकास कार्यों के पंख लगने से जुड़ा है, बल्कि पहली बार सरकारी दस्तावेज हिंदी में उपलब्ध होने शुरू हो गए हैं। सरकार ने बड़ी पहल करते हुए लैंड पासबुक को हिंदी में उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। यह अंग्रेजी व उर्दू में भी होगा।

पहली बार सरकार की ओर से मुफ्त में लैंड पासबुक दिया जाएगा। हालांकि, हिंदी को प्रदेश में बढ़ावा देने के लिए अब भी सरकारी स्तर पर बहुत कुछ किया जाना शेष है। तमाम सरकारी आदेश जो अब तक केवल अंग्रेजी में निकल रहे हैं, उसे भी हिंदी में उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए। अब भी अदालती कामकाज में अंग्रेजी का बोलबाला है। एफआईआर उर्दू व अंग्रेजी में ही दर्ज हो रही है। इसके लिए शिकायतकर्ताओं को उर्दू के जानकारों का सहारा लेना पड़ रहा है।

केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिले दो साल हो गए हैं, लेकिन सरकारी कार्यालयों में अभी भी हिंदी को जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा रहा। अभी भी कार्यालयों में हिंदी में कामकाज शुरू नहीं हो पाया है। ज्यादातर काम अंग्रेजी और उर्दू में हो रहा है। हिंदी को रोजगार की भाषा बनाने के प्रयास नहीं हो रहे हैं। अदालतों, पुलिस और राजस्व विभाग में काम के लिए जाने वाले लोगों को भाषा संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, देश भर में हिंदी भाषा और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भारत की ऑफिशियल लैंग्वेज है। इसके अलावा हिंदी भाषा फिजी, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मॉरीशस जैसे अन्य देशों में भी काफी लोकप्रिय है। इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हालांकि क्या आप जानते हैं कि हिंदी दिवस कब 14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है।

अगर नहीं, तो आइये आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं —

राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि, इस दिन व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्मदिन होता है, जिन्होंने हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी के परिणामस्वरूप उनके 50वें जन्मदिन पर यानी 14 सितम्बर 1949 को, हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था।

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए किया लंबा संघर्ष –

राजेन्द्र सिंह का संस्कृत, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अंग्रेजी आदि पर भी बहुत अच्छी पकड़ थी, लेकिन फिर भी हिंदी को ही राष्ट्रभाषा बनाने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किए थे। इसके चलते उन्होंने दक्षिण भारत की भी कई यात्राएं कीं और लोगों को इसके लिए मनाया।

पहली बार इस दिन मनाया गया हिंदी दिवस –

बता दें कि पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था, जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था।

इस दिन मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस –

इसके अलावा जहां 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस या राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, वहीं 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना है।

 

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