HEADMASTER POSTING STAY : हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, हेड मास्टर पद पर मनमानी पदस्थापना पर लगी रोक, DPI को 30 दिन में निर्णय का निर्देश

HEADMASTER POSTING STAY : Big decision of High Court, arbitrary posting on Head Master post banned, DPI directed to take decision in 30 days
बिलासपुर। HEADMASTER POSTING STAY स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को हेड मास्टर पद पर पदोन्नति के बाद बिना काउंसिलिंग के की गई मनमानी पदस्थापनाओं को बिलासपुर हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाई कोर्ट की एकलपीठ न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु ने इस पर अंतरिम रोक लगाते हुए लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) को 30 दिनों के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया है।
HEADMASTER POSTING STAY यह याचिका सूरज कुमार सोनी, हलधर प्रसाद साहू, रमेश कुमार साहू, शिप्रा सिंह बघेल और ज्ञानचंद पांडे द्वारा दाखिल की गई थी। सभी याचिकाकर्ता बिल्हा ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शालाओं में सहायक शिक्षक (एल.बी.) के पद पर कार्यरत थे और हाल ही में हेड मास्टर के पद पर पदोन्नत हुए हैं।
याचिका में क्या कहा गया? –
अधिवक्ता संदीप दुबे और अश्विनी शुक्ला के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि विभाग ने राज्य शासन के 7 फरवरी 2022, 7 नवंबर 2022 और 29 मार्च 2023 के आदेशों की अवहेलना की है। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, काउंसिलिंग प्रक्रिया के माध्यम से पदस्थापना अनिवार्य है, लेकिन विभाग ने इस प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया।
कोर्ट का आदेश –
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में महत्वपूर्ण अंतरिम राहत देते हुए कहा कि “जब तक डीपीआई द्वारा याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया जाता, वे अपने पूर्ववर्ती स्कूलों में ही कार्यरत रहेंगे।” इसके साथ ही, कोर्ट ने DPI को स्पष्ट निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं के दिए गए अभ्यावेदन पर 30 दिनों के भीतर उचित निर्णय लिया जाए।
व्यापक प्रभाव –
HEADMASTER POSTING STAY इस फैसले को राज्यभर में हजारों शिक्षकों के लिए एक मिसाल माना जा रहा है, जो पदोन्नति प्रक्रिया में न्याय, पारदर्शिता और नियमों के अनुपालन की अपेक्षा रखते हैं। कोर्ट का यह आदेश न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए राहत है, बल्कि यह स्कूल शिक्षा विभाग के लिए भी सख्त चेतावनी है कि नियमों और प्रक्रिया की अनदेखी अब न्यायिक हस्तक्षेप से बच नहीं सकती।
HEADMASTER POSTING STAY अब सभी की निगाहें DPI के आगामी फैसले पर टिकी हैं कि वह शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार कब और कैसे कार्रवाई करता है।