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श्रीकृष्ण-सुदामा का प्रसंग सुना पढ़ाया मित्रता का पाठ

  • मिश्रा पारा में पं अरुण दुबे सुना रहे भागवत कथा

संजय महिलांग/नवागढ़। मिश्रा पारा नवागढ़ वार्ड 07 में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में शुक्रवार को कथा व्यास मानस चिंतक पंडित अरुण दुबे ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पं दुबे ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की इसके बाद मिश्रा परिवार द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।

गुरुवार को सुनाई रूखमणी विवाह की कथा

पंडित दुबे ने बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी। लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था, जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे।

कथा श्रवण के लिए विजय बघेल डायरेक्टर अंत्यवसायी वित्त विकास निगम, दयावंत धर बांधे, मधु रॉय,मिन्टू बिसेन, कपिल साहू, वीरेन्द्र जायसवाल, बीके वर्मा,मिलाप साहू,भागवत साहू, अश्वनी साहू, कमलेश शर्मा,महेश मिश्रा, राजेन्द्र मिश्रा, मनभर मिश्रा, राकेश जायसवाल,दारा मिश्रा, पं सुंदरम पाठक, रामावतार, संतोष, दिनेश, बीरबल, सन्तु, विनोद, कृष्णकुमार, बबला, रमेश चौहान, तुलसीराम चौहान, दिनेश साहू, सालिकराम श्रीवास्तव, जुठेल सिन्हा, रामनारायण पाठक, खेलन यादव, बिहारी श्रीवास्तव, भुरूवा जायसवाल, रामाधार सिन्हा, लखन पाल, सहित आसपास के बड़ी संख्या में भक्त जन मौजूद रहे।

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