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FAKE CERTIFICATE CASE : फर्जी ST सर्टिफिकेट से बनी जिला अध्यक्ष ? पूर्व IAS की बेटी पर गंभीर आरोप!

FAKE CERTIFICATE CASE : District president made with fake ST certificate? Serious allegations on former IAS’s daughter!

मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, 11 जून 2025। FAKE CERTIFICATE CASE मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की जिला पंचायत अध्यक्ष नम्रता सिंह जैन पर फर्जी अनुसूचित जनजाति (ST) प्रमाण पत्र के जरिए आरक्षित सीट से चुनाव जीतने का गंभीर आरोप सामने आया है। यह मामला न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि संवैधानिक मूल्यों, सामाजिक न्याय, और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

कौन हैं नम्रता सिंह जैन? –

FAKE CERTIFICATE CASE नम्रता सिंह जैन, पत्नी सचिन जैन, वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उनके पिता स्व. नारायण सिंह, 1977 बैच के ओडिशा मूल के आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सेवाएं दीं। वर्ष 2025 के जिला पंचायत चुनाव में नम्रता ने ST आरक्षित सीट से चुनाव जीतकर अध्यक्ष पद हासिल किया।

फर्जी प्रमाण पत्र का आरोप –

FAKE CERTIFICATE CASE शिकायतकर्ता के अनुसार, 26 दिसंबर 2019 को जारी ST प्रमाण पत्र तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर चन्द्रिका प्रसाद बघेल द्वारा जारी किया गया, जो बिना आवश्यक जांच और सत्यापन के जारी हुआ। आरोप है कि नम्रता सिंह जैन का यह प्रमाण पत्र फर्जी है।

संदेह के मुख्य बिंदु –

1950 से पूर्व का कोई राजस्व दस्तावेज, जाति संबंधी प्रस्ताव या रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

नम्रता का परिवार ओडिशा मूल का है, और संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत एक राज्य की ST मान्यता दूसरे राज्य में मान्य नहीं होती।

छत्तीसगढ़ में 2000 से 2020 के बीच 267 फर्जी ST प्रमाण पत्र के मामले सामने आ चुके हैं।

जांच की स्थिति –

SDM, मोहला द्वारा 26 मई 2025 को जांच समिति गठित करने का पत्र जारी किया गया है, लेकिन शिकायतकर्ता ने कार्रवाई में देरी पर चिंता जताई है। उन्होंने 15 दिनों के भीतर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

शिकायतकर्ता की प्रमुख माँगें –

15 दिन में प्रमाण पत्र की वैधता की जांच हो।

फर्जी पाए जाने पर प्रमाण पत्र रद्द किया जाए।

FAKE CERTIFICATE CASE पंचायत राज अधिनियम की धारा 19 और 36 के तहत अध्यक्ष पद से अयोग्यता घोषित हो।

BNS, SC/ST अत्याचार अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई हो।

सभी संबंधित दस्तावेज RTI अधिनियम की धारा 4 के तहत सार्वजनिक किए जाएं।

संवैधानिक और कानूनी दृष्टिकोण –

FAKE CERTIFICATE CASE यह मामला संविधान के अनुच्छेद 14, 342 और 243D के उल्लंघन से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कई फैसलों (जैसे – माधुरी पाटिल बनाम अतिरिक्त आयुक्त (1994) और महाराष्ट्र बनाम मिलिंद (2001)) में कहा है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र से प्राप्त सभी पद और लाभ रद्द किए जा सकते हैं।

 

 

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