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शराबबंदी पर बोले आबकारी मंत्री:लखमा ने कहा- शराबबंदी तुरंत नहीं.….नोटबंदी की तरह अचानक नहीं होगी शराबबंदी, आदिवासी क्षेत्रों को भी देखना होगा

रायपुर। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने गुरुवार को कहा कि नोटबंदी की तरह तुरंत शराबबंदी नहीं करेंगे। सरकार ने इसके लिए सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक समितियां बनाई हैं, जो अध्ययन कर रही हैं। छत्तीसगढ़ चार राज्यों ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से घिरा हुआ है। वहां की परिस्थितियों को देख रहे हैं। यहां बस्तर-सरगुजा में आदिवासी रहते हैं। उनकी पूजा में इस्तेमाल होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक नोटबंदी की थी, जिसमें कई लोग मर गए थे। लॉकडाउन के दौरान कुछ दिनों के लिए शराबबंदी हुई थी। इस दौरान रायपुर-बिलासपुर में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसलिए सभी पहलुओं को देखने के बाद सरकार फैसला लेगी। आबकारी मंत्री ने कहा कि कर्ज माफी और शराबबंदी में अंतर है। कांग्रेस ने वादा किया था और सरकार बनने के तुरंत बाद कर्ज माफी का फैसला लिया गया। शराबबंदी का फैसला किसान, आम आदमी, आदिवासी सभी से जुड़ा हुआ है, इसलिए अचानक बंद नहीं कर सकते।

मंत्री से मिलिए’ कार्यक्रम के लिए कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन पहुंचे आबकारी मंत्री कवासी लखमा से शराबबंदी के वादे पर सवाल हुए। कवासी लखमा ने कहा, बस्तर-सरगुजा में आदिवासी हैं। वे पूजा-पाठ में शराब का उपयोग करते हैं। शराबबंदी का मामला आदिवासी क्षेत्र में कैसे करना है यह भी देखना होगा। इसलिए सरकार ने वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। इसमें विधायक दल के लोग भी हैं। सामाजिक संगठनों की भी बारी-बारी से मीटिंग हो रही है। उनसे जो सुझाव आएगा उसके आधार पर शराबबंदी होगी। नोटबंदी टाइप का तुरंत ही नशाबंदी नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ चार राज्यों से घिरा हुआ है। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश हैं। आबकारी मंत्री ने कहा, यहां किसान, मजदूर कई तरह के लोग रहते हैं। सरकार कोशिश कर रही है कि शराब बंद होने से किसको किस प्रकार का नुकसान होगा उसका अनुमान लगा लिया जाए। इसको बस्तर में कैसे करना है, सरगुजा में कैसे करना है। उन्होंने कहा, पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों में पंचायत अनुमति देती है या नहीं इसको भी देखना होगा।
सामाजिक समिति की एक ही बैठक हो पाई है
राज्य सरकार ने शराबबंदी लागू करने के तरीकों और प्रभावों का अध्ययन करने के लिए 2019 में दो समितियां बनाईं थी। पहली राजनीतिक समिति थी, जिसमें कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में सभी दलों के विधायकों को शामिल किया जाना था। कई महीनों तक भाजपा ने किसी विधायक का नाम नहीं भेजा तो यह समिति काम शुरू नहीं कर पाई। सामाजिक संगठनों और समाज के प्रतिनिधियों की समिति बनी तो एक महीने पहले उसकी पहली बैठक हो पाई।

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