DONALD TRUMP : डोनाल्ड ट्रंप का BRICS पर बड़ा बयान – “150% टैरिफ की धमकी के बाद BRICS बिखर गया”

DONALD TRUMP: Donald Trump’s big statement on BRICS – “BRICS disintegrated after threat of 150% tariff”
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि BRICS देशों द्वारा नई करेंसी लाने की कोशिशें विफल हो गई हैं, क्योंकि उनकी 150% टैरिफ की धमकी के बाद यह समूह तितर-बितर हो गया।
अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को कमजोर करने की कोशिश बेकार – ट्रंप
ट्रंप ने कहा, “BRICS देश हमारे अमेरिकी डॉलर को तबाह करने की कोशिश कर रहे थे। वे एक नई करेंसी शुरू करना चाहते थे, लेकिन मैंने स्पष्ट कर दिया कि जो भी देश ऐसी कोशिश करेगा, उस पर 150% टैरिफ लगाया जाएगा।” उन्होंने कहा कि अमेरिका अब तमाशबीन नहीं रहेगा और BRICS देशों को यह समझ लेना चाहिए कि वे अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस नहीं कर सकते।
BRICS में भारत भी शामिल, कई देश बनना चाहते हैं सदस्य
ब्रिक्स (BRICS) में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। वहीं, तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने BRICS की सदस्यता के लिए आवेदन किया है।
BRICS करेंसी लाने की योजना क्यों बनी थी?
BRICS देशों ने वैश्विक वित्तीय चुनौतियों और अमेरिका की विदेश नीतियों के असर को देखते हुए अमेरिकी डॉलर और यूरो पर निर्भरता कम करने के लिए एक साझा करेंसी शुरू करने की योजना बनाई थी। 2022 में BRICS समिट में इस पर चर्चा हुई थी, और 2023 में ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
डॉलर के प्रभुत्व को खत्म करने की हो रही थी कोशिश?
अमेरिकी डॉलर लंबे समय से वैश्विक व्यापार का मुख्य माध्यम रहा है। लेकिन BRICS करेंसी आने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता था, क्योंकि इससे डॉलर की मांग कम होती और अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की शक्ति घट जाती।
रूस ने की थी अमेरिकी डॉलर के खिलाफ पैरवी
पिछले साल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि अमेरिका ने डॉलर को ‘हथियार’ बना दिया है, जिससे कई देश इससे अलग होने पर मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने BRICS को डॉलर से अलग होने का सुझाव दिया था।
ट्रंप की चेतावनी से BRICS कमजोर?
ट्रंप के बयान के बाद BRICS देशों की नई करेंसी लाने की योजना को बड़ा झटका लगा है। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि BRICS देश इस पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या वे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद अपनी योजना पर आगे बढ़ते हैं या नहीं।