DHANTERAS 2022 : कैसे बरसेगा धन, धनतेरस आज या कल ? मिनटों में दूर करें पूरी कन्फ्यूजन …

DHANTERAS 2022: How will money rain, Dhanteras today or tomorrow? Remove complete confusion in minutes…
रायपुर। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन से पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत होती है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। इसलिए धनतेरस का दिन चिकित्सकों के लिए विशेष महत्व रखता है। जैन धर्म में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। क्यूंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और तीन दिन बाद दिवाली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। धनतेरस के साथ ही इस दिन कामेश्वरी जयंती भी होती है। हालांकि इस बार धनतेरस की सही तारीख क्या है इसको लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है। ऐसे में आइए जानते हैं धनतेरस की सही तारीख शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कब है धनतेरस?
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर 2022 को शाम 6 बजकर 02 मिनट से शुरू हो रही है और 23 अक्टूबर 2022 को त्रयोदशी तिथि का शाम 06 बजकर 03 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में इस बार दोनों दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।
जानिए धनतेरस पर की जाने वाली खरीदारी के शुभ मुहूर्त के बारे में –
अगर कोई शुभ काम शुभ समय में किया जाए, तो उससे मिलने वाले लाभ में अपने आप ही बढ़ोतरी हो जाती है। अतः किस शुभ समय में धनतेरस की खरीदारी करके आप ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं, ये नोट कर लीजिये –
23 अक्टूबर की शाम 05:43 मिनट से शाम 07:19 मिनट तक शुभ की चौघड़िया रहेगी। इसके बाद शाम 07:19 से रात 08:54 मिनट तक अमृत की चौघड़िया रहेगी। उसके बाद रात 08:54 मिनट से रात 10:29 मिनट तक चर की चौघड़िया रहेगी। कुल मिलाकर धनतेरस पर शाम 05:43 मिनट से रात 10:30 मिनट तक ख़रीदारी का शुभ ही शुभ मुहूर्त है। इस समय में आप जमकर धनतेरस की खरीदारी करें।
पूजा विधि –
पूजा के लिए सबसे पहले घर के ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करें और वहां पर लकड़ी की चौकी बिछाएं।
अब उस चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
साथ ही श्री गणेश भगवान की भी तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
लकड़ी की चौकी की उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित करें और उस कलश के ऊपर चावल से भरी कटोरी रखें।
अब उस कलश के मुख पर कलावा बांधे और रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
इस प्रकार मूर्ति और कलश स्थापना के बाद भगवान का आह्वान करना चाहिए।
फिर सबसे पहले गणेश जी की और फिर भगवान धन्वन्तरि की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
पहले गणेश जी और धन्वन्तरि जी को रोली-चावल का टीका लगाएं।
उन्हें गंध, पुष्प अर्पित करें। साथ ही फल और मिठाई चढ़ाएं।
इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें। भोग के लिए दूध, चावल से बनी खीर सबसे अच्छी मानी जाती है।
फिर भोग लगाने के बाद धूप, दीप और कपूर जलाएं और भगवान की आरती करें।
साथ ही संभव हो तो भगवान धन्वन्तरि जी के इस मंत्र का पाठ करें।
मंत्र –
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृत कलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णु स्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
साथ ही संभव हो तो भगवान धन्वन्तरि जी के इस मंत्र का पाठ करें। मंत्र है –
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृत कलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णु स्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
इस प्रकार पूजा और मंत्र जप के बाद श्री गणेश और धन्वन्तरि जी से हाथ जोड़कर प्रणाम करें और उनसे अपने अच्छे जीवन और पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिये प्रार्थना करें।