COVISHIELD VACCINE : कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों पर मंडरा रहा जान का खतरा, खुलासे से हिला हर वो इंसान ..
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COVISHIELD VACCINE: Those taking the Covishield vaccine are in danger of life, every person is shaken by the revelations..
लंदन। ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से कोरोना की वैक्सीन लेने वाला हर इंसान हिल गया है। वैक्सीन निर्माता ने अदालत में माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। कोविड-19 महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से किया गया था। भारत में भी बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है।
मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है। लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।’
क्या बोले एक्सपर्ट –
उन्होंने आगे कहा, ‘WHO के मुताबिक एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन शायद ही कभी ऐसी स्थिति से जुड़ी हो। हालांकि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोका है, लेकिन इससे जुड़ी कई रिपोर्ट प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।’ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड का उत्पादन किया, लेकिन mRNA प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं किया। इसे वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है। वैक्सीन में एक चिंपांजी एडेनोवायरस ChAdOx1 को संशोधित किया गया है ताकि यह मनुष्यों की कोशिकाओं में कोविड-19 स्पाइक प्रोटीन ले जाने में सक्षम हो सके। यह कोल्ड वायरस मूल रूप से रिसीवर को संक्रमित करने में असमर्थ है, लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली को ऐसे वायरस के खिलाफ एक तंत्र तैयार करने के लिए बहुत अच्छी तरह सिखा सकता है। इबोला की वैक्सीन बनाने में भी इसी तरह की टेक्नोलॉजी इस्तेमाल हुई है।
कंपनी देगी बड़ा हर्जाना?ब्रिटेन की एक अदालत में 51 मामलों में पीड़ित 100 मिलियन पाउंड तक का हर्जाना मांग रहे हैं। इस मामले के पहले शिकायतकर्ता जेमी स्कॉट का आरोप है कि उन्हें अप्रैल 2021 में टीका लगाया गया था, जिससे खून में थक्का जमने के बाद उनके दिमाग में स्थायी चोट लग गई। उन्होंने दावा किया कि इस कारण वह काम करने में असमर्थ हो गए। तीन बार उनकी पत्नी को अस्पताल ने यह भी कह दिया कि वह मरने वाले हैं। एस्ट्राजेनेका ने स्कॉट के दावे के कानूनी बचाव में TTS की बात स्वीकारी है। इस कारण माना जा रहा है कि उसे अब पीड़ितों और उनके परिवारों को हर्जाना देना पड़ सकता है।