
वैसे तो भारत माला योजना के तहत छत्तीसगढ़ में ६७० किमी सड़क निर्माण होगा । इसके लिए जमीन के अधिग्रहण की प्रकिया चल रही है | योजना शुरू होने से पहले इस मार्ग पर कुछ प्रभावशाली राजनेताओं और नौकरशाहों ने भारी जमीन खरीदी है। इस योजना के तहत अब प्रभावितों को जमीन का मुआवजा भी मिलने लगा है। एक आईएएस के परिवार को तो 50 करोड़ रुपया मुआवजा मिलने की खबर है। यही नहीं, भाजपा के एक चर्चित पूर्व मंत्री के करीबी रिश्तेदारों को भी भारी मुआवजा मिलने वाला है। जमीन में निवेश का देर सबेर फायदा तो होता ही है l
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रायपुर के राम मंदिर विवाद पर निगाह
अयोध्या के राम मंदिर भूमि पर जिस तरह विवाद चल रहा था ठीक उसी तरह का विवाद रायपुर स्थित वी.आई.पी. रोड के राम मंदिर में चल रहा है। अदालत ने इस पर फैसला भी सुना दिया है। मूल कब्जाधारी छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज अदालत से जीत के बाद वर्तमान सरकार की मदद से ज़मीन पर कब्जे के लिए प्रयासरत है। भाजपा शासनकाल में इस बेशकीमती जमीन को दो मंत्री कब्जाने में भिडे थे, जिसे आरएसएस के हस्तक्षेप के बाद छुड़ाया गया। मंदिर पर अभी भाजपा समर्थित लोगो का कब्जा है।
आलोक शुक्ला से खफा हैं कलेक्टर
प्रमुख सचिव डां आलोक शुक्ला को काबिल अफसर माना जाता है l लेकिन उनकी कार्य शैली से ज्यादातर कलेक्टर नाखुश हैं l शुक्लाजी सुबह से ही आत्मानंद योजना और स्वास्थ्य विभाग की मोबाईल योजना के क्रियान्वयन लिए मैसेज पेल देते हैं l कलेक्टरों की शिकायत है कि उनके अपने विभाग के अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं l एक- दो कलेक्टरों का मानना है कि यदि विभागीय अफसरों पर दबाव बनाते, तो रिजल्ट बेहतर आता l कलेक्टर कांफ्रेंस में भी सबसे ज्यादा समय आलोक शुक्ला ने लिया था l उन्होंने इतना ज्यादा समय लिया कि कलेक्टर बुदबुदाते हुए निकले l
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बेमेतरा कलेक्टर फिर चर्चा में
सीएम ने कलेक्टर कान्फ्रेस में इस बार सभी कलेक्टरों को टीम लीडर की तरह काम करने का टिप्स दिया। कलेक्टर ऑफिस छोड़कर पुलिस और वन विभाग के छोटे-मोटे काम पर भी निगाह रखने और समन्वय स्थापित कर जिला चलाने की हिदायत दी है। एक तरह से जिलाधीशों को तवज्जो और काम की जिम्मेदारी का एहसास करया गया है। जिस तरह निर्माण के कामों को जिलाधीश रूचि लेकर करते हैं उतनी ही रूचि अन्य कामों में भी दिखाने को कहा है। तेजी से औद्योगिक रूप लेते बेमेतरा और मुंगेली जिला कलेक्टरों के पुअर परफार्मेस की चर्चा ज्यादा रही। बेमेतरा में अलग-अलग कारणों के चलते बहुत जल्द ही कलेक्टर बदले हैं। इस बार काम को लेकर फिर विवाद उठा रहा है।
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बदलाव का दौर
प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा चर्चित बैठक की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। बैठक में उपस्थित आधा दर्जन प्रमुख पदाधिकारी मोबाइल फोन को चालू रखते हुए दूर बैठे अपने नेताओं को महाभारत के संजय की तरह पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते रहे। किरकिरी मचाने वाली इस बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई बदलाव हो रहे हैं और कई बदलाव आगामी दिनों देखने को मिलेगा।
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कवर्धा की रोचक लड़ाई
गत विधानसभा चुनाव में जिस तरह बलौदाबाजार विधानसभा सीट में रोमांचक मुकाबला हुआ था उस तरह का चुनावी परिदृश्य कवर्धा विधानसभा सीट में दिखने लगा है। शाम, दाम, दण्डभेद जबरदस्त तरीके से चलने की खबर है। जंगली इलाके से लेकर राजधानी तक शतरंज के बिसात बिठाया जा रहे हैं। कौन कहां और कैसे दिख रहा है और चल क्या रहा है समझना कठिन हो गया है।
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आराम की जगह हो गई मंत्रालय
रायपुर से कई किलोमीटर दूर नया रायपुर स्थित मंत्रालय में मंत्री जाते ही नहीं। अधिकारी भी अब 12 बजे के बाद ही पहुंचते हैं। काम करने का कल्चर तैयार नहीं हो पाया। देखरेख करने वाला कोई नहीं है। दिनों दिन मंत्रालय में सीनियर आईएएस अफसर रह नहीं गये। मंत्री और उनके पीए काम के दबाव के बीच थकान मिटाने मंत्रालय जरूर जा रहे है। मंत्री के पीए फोन नहीं उठाते और कॉलबेक करना तो सीखा नहीं। आम आदमी की पहुंच दूर मंत्रालय सुविधाभोगी सरकारी लोगों का आराम का जगह हो गया है।
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