
नई दिल्ली। अगला दलाई लामा कौन होगा, इस पर तिब्बत की निर्वासित सरकार और चीन के बीच जुबानी जंग शुरू जारी हो चुकी है। ऐसे में भारत ने इस प्रकरण पर बहुत ही सधी प्रतिक्रिया दी है।
भारत ने कहा है कि वह धर्म और आस्था के मामले में किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं करता और ना ही इस बारे में कुछ बोलना चाहता है। इस तरह से भारत ने अपनी आगे की रणनीति को खुला छोड़ रखा है।
शुक्रवार को भारत ने दी प्रतिक्रिया
शुक्रवार को भारत की यह प्रतिक्रिया 14वें दलाई लामा की तरफ से अपनी 90वीं वर्षगांठ पर 15वें दलाई लामा को नामित करने की प्रक्रिया शुरू करने के ऐलान के बाद आई है। चीन ने दलाई लामा की घोषणा का कड़ा विरोध दर्ज करा दिया है। उधर, पाकिस्तान ने इस पूरे मामले को चीन का आंतरिक मामला करार दिया है।
भारत सरकार इस मामले में कोई पक्ष नहीं रखती
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि दलाई लामा की तरफ से हाल ही दलाई लामा संस्थान को आगे भी बनाये रखने के बारे में दिए गये वक्तव्य को हमने देखा है। भारत सरकार इस मामले में कोई पक्ष नहीं रखती और धर्म व आस्था के मामले में कोई बयान नहीं देती। सरकार सभी धर्मों को समान तौर पर स्वतंत्रता देने का समर्थन करती है और आगे भी ऐसा करती रहेगी।
जबकि भारत के अल्पसंख्यक मंत्री किरण रिजीजू ने एक दिन पहले ही कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर फैसला स्तापित संस्था गादेन फोडरंग ट्रस्ट और स्वयं तिब्बती धर्मगुरू द्वारा ही लिया जाएगा, किसी और के द्वारा नहीं।
दलाई लामा की परंपरा को जारी रखा जाए
बुधवार को दलाई लामा ने कहा था कि दलाई लामा की परंपरा को जारी रखा जाएगा और सिर्फ गादेन फोडरंग ट्रंस को ही उनके पुनर्जन्म की पहचान को मान्यता देने का अधिकार है। जबकि दूसरी तरफ चीन सरकार की मंशा यह है कि वह दलाई लामा के चयन की मौजूदा प्रक्रिया की जगह अपनी प्रक्रिया लागू करे। चीन ने साफ किया है कि किसी भी भावी दलाई लामा को उसकी मंजूरी मिलनी आवश्यक है।