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chhattisgarh politics news : छत्‍तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार साढ़े तीन वर्षों में चार उपचुनाव, चारों में सत्ता की जीत

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ प्रदेश में पिछले साढ़े तीन वर्षों में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। सभी सीटों पर सत्तारुढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीते हैं। इससे सदन में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 68 से बढ़कर 71 पहुंच गई है, जबकि विपक्ष की ताकत 22 से घटकर अब 19 रह गई है। छत्‍तीसगढ़ प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी एक सरकार के कार्यकाल में चार बार उपचुनाव हुए हैं।

अब तक 11 उपचुनाव, कोटा के अलावा सभी में सत्ता की जीत

राज्य स्थापना के बाद से प्रदेश में करीब 11 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव हुए हैं। इनमें से केवल एक कोटा को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर जनता ने सत्ता का साथ दिया। यानी हर चुनाव में सत्तारुढ़ पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई। राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद के निधन की वजह से खाली हुई कोटा सीट पर जब उपचुनाव हुआ तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। इसके बावजूद वहां से कांग्रेस की डा. रेणु जोगी जीती थीं।

सीएम ने कहा- सबसे चुनौतीपूर्ण था मरवाही

सीएम हाउस में शनिवार की शाम को पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मरवाही सीट पर उपचुनाव सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था। बता दें कि राज्य बनने के बाद से इस सीट पर लगातार जोगी परिवार के पास रहा। मुख्यमंत्री बनने के बाद अजीत जोगी इसी सीट से उपचुनाव लड़कर सदन के सदस्य बने थे। इसी सीट से अमित जोगी भी विधायक रह चुके हैं।

इन विधासभा सीटों पर हुए उप चुनाव

दंतेवाड़ा- 2018 में यहां से विधायक चुने गए भाजपा के भीमा मंडावी की नक्सली हमले में मौत के बाद सितंबर 2019 में उप चुनाव हुआ।

चित्रकोट- कांग्रेस के दीपक बैज 2018 में यहां से विधायक चुने गए। बाद में वे बस्तर लोकसभा सीट से भी चुनाव जीत गए। अक्टूबर 2019 वहां उप चुनाव हुआ।

मरवाही- राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी यहां से विधायक चुने गए थे। उनके निधन के बाद नवंबर 2020 वहां उप चुनाव कराया गया।

खैरागढ़- इस सीट से जकांछ के देवव्रत सिंह विधायक चुने गए थे। उनके निधन की वजह से यह सीट खाली हो गई थी जिसकी वजह से उपचुनाव करना पड़ा।

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